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जंगल लगाने का संयुक्त अभियान

१६ अगस्त २०१३

पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए देशों के अपने कई तरह के कार्यक्रम तो होते हैं, लेकिन जब दो देश एक साथ मिलकर जंगल लगाने की ठान लें तो इसका मतलब है कि वजह ज्यादा बड़ी है. कोस्टा रिका और पनामा में ऐसा ही हो रहा है.

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Title: DW Mauritius/Making Good Use of Compost Keywords: Mauritius/Compost/Organic Agriculture/Vegetables Who is the photographer: Nasseem Ackbarally When was the picture taken: 10.01.2013 Where was the picture taken: La Marie, Mauritius Description: What are we seeing in this picture? Who are we seeing? Agricultural workers working in a beetroot plantation
तस्वीर: Nasseem Ackbarally

पनामा और कोस्टा रिका की सरहद पर हफ्तों से बारिश नहीं हुई थी, लेकिन जब हुई तो खूब ही जम कर हुई. नदी ब्री-ब्री आदिवासियों की बस्ती की ओर ले जाती है. जोरदार बारिश और जलस्तर का बढ़ना किसानों के लिए बुरे सपने जैसा साबित हुआ. कोस्टा रिका में सिक्साओला नदी के किनारे खेतों का बुरा हाल है. बाढ़ के साथ जब नदी रास्ता बदलती है, मिट्टी का कटाव होता है. जो खेत कोस्टा रिका में था, अचानक पनामा की सरहद में चला गया.

कोस्टा रिका के किसान मारविन रईस ने बताया, "पिछली बड़ी बाढ़ में नदी ने रास्ता बदल लिया. इसके बाद मेरे चालीस एकड़ खेत उस तरफ चले गए. मेरी पूरी जमीन उधर चली गई. अब मुझे केले के दूसरे खेतों में काम कर कमाना पड़ रहा है. मेरे परिवार की सारी जमा पूंजी लुट गई." वहां के नाविकों का कहना है कि बारिश के बाद बहुत कुछ बदल गया है. हालात ये हैं कि जलस्तर तेजी से बढ़ता है और तेजी से घटता है. पहले ऐसा नहीं होता था, पहले बारिश के बाद भी जलस्तर कुछ दिनों तक स्थिर रहता था. इसके अलावा मिट्टी कटने की भी समस्या शुरू हो गई है.

जंगल लगाने का अभियान

जमीन का नुकसान यानी विवाद का जन्म. कोस्टा रिका के पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी दोनों देशों के लोगों को मिला कर जंगल लगाने का प्रोजेक्ट चला रहे हैं. इसे प्रकृति सुरक्षा की अंतरराष्ट्रीय संस्था आईयूसीएन ने पाराएसो गांव में शुरू किया है. आईयूसीएन के अधिकारी पेड्रो कोर्डेरो कहते हैं, "जंगल कटने से धरती का बुरा हाल हुआ है. मिट्टी ढलान से नीचे आ जाती है. पानी पांच मीटर तक ऊपर उठ जाता है और यहां तलछट जम जाता है. मिट्टी ढीली पड़ती जा रही है और नदी का तट ज्यादा अस्थिर हो गया है."

दोनों देशों की सरकार मिलकर अब इन खेतों को जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचाने की कोशिश कर रही है. इस कार्यक्रम के तहत पनामा और कोस्टा रिका के छात्र मिल कर पौधे लगा रहे हैं ताकि मिट्टी के कटाव को रोका जा सके. इनकी जड़ें जमने में बरसों लगेंगे. तब तक दोनों हिस्सों के लोगों को मिल कर काम करना सीखना होगा.

लंबा सहयोग

दोनों देशों के बीच आधिकारिक तौर पर बीस साल से सहयोग चल रहा है. इसे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. कोस्टा रिका के पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी एडविन सायरस कहते हैं, "यह मिल कर काम करने का शानदार नमूना है. नदी कभी पनामा में होती है, कभी कोस्टा रिका में. दोनों देशों के प्रशासन को समझना होगा कि वे जो भी करेंगे, उसका प्रभाव दोनों पर पड़ेगा. पनामा जो करेगा, उसका कोस्टा रिका पर और कोस्टा रिका का पनामा पर. इसे ध्यान में रख कर भविष्य की योजना बनानी होगी."

कोस्टा रिका से रेल का पुल पार करते ही सरहद के उस पार पनामा के लास ताबलास में पहुंचा जा सकता है. यहां पर्यावरण संगठन आईयूसीएन ने एक समिति बनाई है. यह पनामा के किसानों के साथ काम कर रही है और उन्हें बता रही है कि अलग अलग किस्म के पेड़ लगाकर बारिश और बाढ़ से होने वाले नुकसान से कैसे बचा जाए.

रिपोर्ट: गोटशाल्क योआना/ एसएफ

संपादन: ईशा भाटिया

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