चीन ने सोच समझकर वियतनाम को लपेटा है
३ मई २०२१कभी फिलीपींस के ईईजेड (इक्स्क्लूसिव इकनामिक जोन) में चीन का समुद्री मिलीशिया (मैरीटाईम मिलीशिया) आ धमकता है तो कभी वियतनाम के ईईजेड में अनाधिकृत ढंग से तेल की खोज और मछली पकड़ने की चीनी कोशिशों का पर्दाफाश होता है. इसमें वे सारे देश तो आते ही हैं जिनके छोटे-बड़े दावे दक्षिण चीन सागर में हैं, लेकिन हाल के कुछ वर्षों में चीन की अतिक्रमणवादी नीतियों की चपेट में इंडोनेशिया जैसे देश भी आ रहे हैं.
इसी हफ्ते चीन ने एक एकतरफा घोषणा में यह कह कर सभी को चौंका दिया है कि वह दक्षिण चीन सागर में औद्योगिक तौर पर किसी को मछली पकड़ने की इजाजत नहीं देता. वियतनाम ने इसे गैरकानूनी करार देते हुए इस बात का जम कर विरोध किया है.
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से चीन वियतनाम के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा करता है, लेकिन साथ ही आर्थिक निर्भरता और दोनों देशों की कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच अच्छे और मजबूत सम्बंधों की वजह से वियतनाम चीन से कटकर भी नहीं रहना चाहता है. वियतनाम जानता है कि चीन जैसे मजबूत देश के पड़ोस में सकुशल रहने के लिए उसे अपनी क्षमताओं को बढ़ाना होगा और हर मोर्चे पर चीन को टक्कर देनी होगी. अगर हम गौर से वियतनाम की विदेश और रक्षा नीति का आंकलन करें तो साफ दिखता है कि वियतनाम का सारा ध्यान अपनी सैन्य शक्तियों को बढ़ाने में ही लगा रहा है.
इसी संदर्भ में इस हफ्ते चीनी मीडिया में सामने खबरें रोचक और महत्वपूर्ण हैं. इन खबरों के अनुसार चीन की सैन्य मामलों से जुड़ी एक पत्रिका ने कहा है कि वियतनाम तेजी से अपनी मैरीटाईम मिलीशिया को संख्या और कार्यकुशलता दोनों ही मामलों में तेजी से बढ़ा रहा है. इस पत्रिका का यह भी कहना है कि वियतनाम की इन गतिविधियों से चीन के लिए दक्षिण चीन सागर में निगरानी करना मुश्किल हो गया है और अगर ऐसा ही हाल रहा तो चीन की अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी.
जाहिर है यह वक्तव्य सच से कहीं परे है. लगभग एक महीने पहले ही मैरीटाईम मिलीशिया का महारथी चीन अपनी खुद की मिलीशिया लेकर फिलिपीन्स के ईईजेड में डटा पड़ा था, और फिलीपीन्स के लाख कहने के बावजूद मिलीशिया टस से मस नहीं हुई जिससे फिलिपीन्स के चीन - समर्थक राष्ट्रपति रॉड्रीगो दुतेर्ते भी तीखी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आलोचना के शिकार हुए. सैटलाइट चित्रों और डाटा होने के बावजूद चीन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि वहां उसकी मिलीशिया के लोग तैनात हैं. बहरहाल, इस घटना ने जहां चीन और दुतेर्ते दोनों की छवि को धूमिल किया तो वहीं फिलिपीन्स अमेरिका के सम्बंधों में फिर से मधुरता भी आ गयी.
जहां तक वियतनाम का सवाल है तो ऐसा नहीं है कि वियतनाम मारीटाईम मिलीशिया की अपनी रणनीति लुका छुपा कर चल रहा है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 2009 में ही मैरीटाईम मिलीशिया को लेकर वियतनाम सरकार ने एक कानून पास किया जिसके तहत मिलीशिया को वियतनाम के अधीन आने वाले द्वीपसमूहों और अन्य चट्टानों की निगरानी करने की निम्मेदारी दी गयी. साथ ही उसे इस जिम्मेदारी से भी नवाजा गया कि वियतनाम की सीमा में आने वाले किसी भी विदेशी जहाज को वियतनाम की सीमा से बाहर निकाला जाए. 2019 में सिविल डिफेंस फोर्सेस के तहत इसे और कानूनी और अमली जामों से सजाया गया है.
माना जाता है कि वियतनाम के पास लगभग 10 हजार नौकाएं और 45 हजार से ज़्यादा मछुआरे व नाविक हैं. लेकिन इस बात में भी कोई दो राय नहीं है कि चीनी मैरीटाईम मिलीशिया ताकत और तादाद दोनों ही मामलों में वियतनाम से कहीं ज़्यादा है. अपने कोस्टगार्ड कानून के बाद वैसे भी चीन किसी भी दूसरे देश के जहाज या नौका पर 9 डैश लाइन के भीतर हमला करने का दम भरता है जिसके सामने फिलहाल वियतनाम बहुत कमजोर दिख पड़ता है.
अब सवाल उठता है कि चीन की इस अचानक उमड़ी चिंता के पीछे क्या है, क्योंकि 2019 में भी तो चीन और वियतनाम की मैरीटाईम मिलीशिया वैनगार्ड बैंक के पास एक-दूसरे के खिलाफ आमने सामने डटे थे और स्टैंडऑफ की सी स्थिति बन गयी थी. इससे पहले 2014 में भी चीन के HYYS-981 तेल रिग को वियतनाम की सीमा में ला खड़ा करने पर भी वियतनाम की यही मिलीशिया सामने आयी थी.
दरअसल, फिलीपीन्स ईईजेड में अपने 200 मैरीटाईम मिलीशिया भेज कर दुनिया की किरकिरी झेल रहे चीन को अचानक और अच्छी तरह समझ आ गया है कि नियमबद्ध अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में मैरीटाईम मिलीशिया जैसी चीजों की स्वीकार्यता नहीं होगी. इस बात से अलग थलग पड़ रहे चीन ने सोचा यही है कि वियतनाम को भी लपेटे में ले लिया जाय.
चीन और वियतनाम दोनों ही देश समुद्री सीमाओं की रक्षा और समुद्री संसाधनों की निगरानी के लिए अपनी – अपनी नौसेनाओं के साथ - साथ सिविलियन और मारीटाईम मिलीशिया का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. सैद्धांतिक तौर पर इसमें कोई गलत बात भी नहीं है, गलती वहां है जब चीन जैसे देश इसका इस्तेमाल अतिक्रमण और कब्जे के लिए करने लगें.
जो भी हो चीन का वियतनाम को लपेटने का पैंतरा सोचा समझा है. माना जा सकता है कि जल्दी ही चीन वियतनामी मैरीटाईम मिलीशिया से दक्षिण चीन सागर में दो-दो हाथ करेगा. फिलहाल चीन की इस अचानक उपजी चिंता में सीधे तौर पर तो कुछ गलत नहीं है लेकिन यह दांव कारगर होगा, ऐसा कहना मुश्किल है. चीन और वियतनाम की नौसैनिक शक्तियों में जमीन आसमान का अंतर है और यही बात इन दोनों देशों की हर नीति और हर सामरिक कदम पर लागू होता है.
(राहुल मिश्र मलाया विश्वविद्यालय के एशिया-यूरोप संस्थान में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं.)