चीन ने मानवाधिकारों पर अमेरिका को लताड़ा
१ मार्च २०१४बीजिंग का कहना है कि अमेरिका ने अब तक सरकार द्वारा चलाए जाने वाले जासूसी कार्यक्रमों जैसी अपनी मानवाधिकारों की समस्याओं को छुपाया है और उसका जिक्र करने से बचा है. रिपोर्ट का कहना है कि जासूसी कार्यक्रम 'प्रिज्म' मानवाधिकारों का गंभीर हनन करता है. इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को सालाना वैश्विक मानवाधिकार रिपोर्ट जारी की थी. चीन पिछले कुछ सालों से अमेरिकी रिपोर्ट के जवाब में अपनी रिपोर्ट जारी करता है. लेकिन इसमें सिर्फ अमेरिका को निशाना बनाया जाता है, किसी और मुल्क को नहीं.
चीन की राज्य परिषद द्वारा जारी रिपोर्ट में पाकिस्तान जैसे देशों में ड्रोन हमलों के लिए अमेरिका की आलोचना की गई है. चीन का कहना है कि इन हमलों में काफी आम लोग हताहत हुए हैं और अमेरिका में खुद बंदूक संस्कृति के चलते भारी हिंसा हो रही है. इसके अलावा उसपर कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बाल मजदूरों से काम लेने का आरोप लगाया गया है.
गुरुवार को जारी अमेरिकी रिपोर्ट में कुछ लेबर कैंपों को बंद करने और एक बच्चे की नीति समाप्त करने के लिए चीन की तारीफ की गई थी. लेकिन इसमें कहा गया कि नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने वाले लोगों और संगठनों का दमन और उन्हें डराना धमकाना चीन में रूटीन है. अमेरिका ने यह भी कहा है कि चीन ऊईगुरों और तिब्बतियों का दमन जारी रखे है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चिन गांग ने अमेरिका पर पाखंड का आरोप लगाया है. उन्होंने अपने नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अमेरिका हमेशा दूसरे देशों के मामलों पर गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी करता है, लेकिन अपने मामलों पर चुप रहता है. यह दोहरा मापदंड है." मानवाधिकारों पर अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से विवाद रहा है. अमेरिका ने 1989 में बीजिंग के तियानानमेन चौक पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के दमन के बाद चीन पर प्रतिबंध लगा दिए थे.
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी घरेलू मीडिया का सख्त नियंत्रण करती है और उसने अपने शासन के अधिकार को खुलेआम चुनौती देने वाले लोगों को नियमित रूप से गिरफ्तार किया है. उसकी दलील है कि हाल के सालों में तेज आर्थिक विकास से मानवाधिकारों के लिए सम्मान में इजाफा हुआ है.
एमजे/एमजी (एएफपी)