चीन की चिंता पर भारत और अमेरिका की बातचीत
९ सितम्बर २०१०यूएस पैसिफिक कमांड के एडमिरल रॉबर्ट विलर्ड ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के अलावा सेना के कई बड़े अधिकारियों से मुलाकात की. दो दिन के दौरे पर भारत आए विलर्ड ने भारतीय जल, थल और वायुसेना के प्रमुखों से भी मुलाकात की. दोनों पक्षों के बीच में क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी सैन्य सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई.
दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते दखल पर विलर्ड ने कहा, ''यह युद्ध में नहीं बदलेगा. अब तक हम जो देख रहे हैं उससे नहीं लगता कि चीन या कोई और लड़ाई छेड़ने जा रहा है.'' अमेरिकी एडमिरल ने साफ शब्दों में यह भी कहा कि पाकिस्तानी कश्मीर में चीनी सेना की मौजूदगी के मामले से खुद भारतीय सेना निपटेगी.
उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के साथ भी अपने सैन्य रिश्ते मजबूत करना चाहता है. उन्होंने कहा, ''हम रिश्ते करीब लाने के लिए बेसब्र हैं. पुराने मतभेदों को पाटना बहुत आसान नहीं है. इसलिए हमें चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के साथ संबंध अच्छे करने के लिए काफी काम करना है.''
एशियाई महासागरों में चीन के बढ़ते प्रभाव की विलर्ड ने इशारों में आलोचना की. उन्होंने कहा कि हर देश को समंदर के इस्तेमाल का अधिकार है लेकिन दूसरे देशों की चिंताओं को ताक पर नहीं रखा जा सकता.
कुछ हफ्ते पहले अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने पाकिस्तानी कश्मीर के गिलगित बाल्टिस्तान इलाके में चीनी सेना की मौजूदगी की रिपोर्ट छापी थी. अखबार के मुताबिक वहां 7,000 से 11,000 चीनी सैनिक तैनात हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं. हालांकि चीन गिलगित में अपनी मौजूदगी से इनकार करता रहा है. चीन का कहना है कि वह दक्षिण एशिया में शांति लाने के लिए पहल करने को तैयार है. इस बयान से माना जा रहा है कि चीन ने दक्षिण एशिया में दखल के साफ संकेत दे दिए हैं.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: वी कुमार