फेक न्यूज का विरोध जरूरी: मैर्केल
५ जून २०१८1953 में जब डॉयचे वेले ने प्रसारण शुरू किया तो चुनौतियां आज के मुकाबले काफी आसान थीं. कभी सिर्फ जर्मन भाषा का एक शॉर्ट वेब रेडियो स्टेशन रहा डॉयचे वेले अब ऐसी दिग्गज मल्टीमीडिया कंपनी में बदल चुका है, जो टीवी, रेडियो, इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए 30 भाषाओं में हर हफ्ते 17.5 करोड़ लोगों तक पहुंचता है. डीडब्ल्यू सिर्फ जानकारी का प्रसार नहीं कर रहा है बल्कि दुनिया भर में फेक न्यूज, चालबाजी और स्पष्ट झूठ से भी लड़ रहा है.
डॉयचे वेले की 65वीं वर्षगांठ के मौके पर जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के संबोधन में इसका प्रमुखता से जिक्र किया गया. वर्षगांठ का जश्न मंगलवार को बर्लिन में मनाया गया. पत्रकारों और सांसदों को संबोधित करते हुए मैर्केल ने कहा, "अगर हम भ्रम और लोगों द्वारा फैलाई जा रही फेक न्यूज का विरोध नहीं करेंगे, तो हम ऐसी स्थिति से दूर नहीं होंगे जिसमें दमन होगा और अपनी सुविधा के हिसाब से तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा जाएगा." डीडब्ल्यू की तारीफ करते हुए मैर्केल ने कहा, "इसीलिए जो आप कर रहे हैं मैं उसकी तारीफ करना चाहूंगी.
संबोधन से पहले मैर्केल ने डीडब्ल्यू की रूसी सेवा से बात की. रूसी सेवा ने यूजर्स को और खास तौर पर युवा यूजर्स को बहकाने वाली जानकारी की पहचान करना सीखने के लिए इंटरनेट वीडियोज की सीरीज बनाई है. एक वीडियो दिखाता है कि कैसे एक तस्वीर के जरिए यह कहा गया कि यह यूक्रेनी मिसाइल का हमला है, जबकि वह कजाखस्तान का नाकाम रॉकेट लॉन्च था. रूसी सर्विस में ऑनलाइन होने के महीने भर के भीतर ही इस वीडियो को 13 लाख बार क्लिक किया गया.
समारोह के दौरान वक्ताओं ने कहा कि एक ऐसा दौर आ चुका है जब प्रोपेगंडा के कई तरीके पुर्नजीवित हुए हैं. ऐसे में मुक्त और लोकतांत्रिक समाज जैसे मूल्यों की वकालत करने वाले डॉयचे वेले जैसे सरकारी प्रसारक की भूमिका और अहम हो जाती है.
डॉयचे वेले के महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग ने कहा, "संकटग्रस्त युद्ध और विवादों में लोग खास तौर पर हमारी तरफ देखते हैं. वे जानते हैं उन्हें विस्तार, ईमानदारी और भरोसे के साथ सूचित किया जाएगा. तानाशाहों की नजरों में हम खतरनाक हैं."
दुनिया के लिए यूरोपीय आवाज
मैर्केल और लिम्बुर्ग दोनों ने इस बात जोर दिया कि करीब आते ब्रेक्जिट के बीच डॉयचे वेले की यूरोपीय प्रसारक के रूप में अहमियत बढ़ेगी. कहा जा सकता है कि तब बीबीसी यूरोपीय प्रसारक नहीं ही कहलाएगा. हाल के बरसों में डीडब्ल्यू दिशा तय करने वाले बड़े बदलावों से गुजरा है, अब अंग्रेजी भाषा की सामग्री पर फोकस किया जा रहा है और दुनिया भर में डीडब्ल्यू का प्रसार हो रहा है.
नए दौर की पत्रकारिता का एक उदाहरण "eco@africa" है. यह पर्यावरण से जुड़ा कार्यक्रम है जो अफ्रीका और यूरोप में पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं और उनके समाधान को साथ लाता है. यह शो बराबरी की साझेदारी के साथ नाइजीरिया और केन्या के पार्टनरों के साथ तैयार किया जाता है. नाइजीरिया में इस शो की रेटिंग नौ और केन्या में छह फीसदी है. अब इसके फ्रेंच और पुर्तगीज संस्करण की भी तैयारी हो रही है.
मैर्केल ने कहा, "मुझे लगता है कि यह शानदार है कि आप अफ्रीका से भी पर्यावरण का शो प्रोड्यूस कर रहे हैं, ऐसा शो जो चीजों के बारे में अफ्रीकी नजरिए को भी सामने लाता है."
इस मौके पर लिम्बुर्ग ने डीडब्ल्यू की तुर्की सेवा के लिए टीवी सर्विस शुरू करने की योजना सामने रखी. उन्होंने अंकारा की मौजूदा सरकार के लिए कुछ कड़े शब्दों का इस्तेमाल भी किया.
लिम्बुर्ग ने कहा, "हमें और ज्यादा करना है. तुर्की, यह एक शानदार देश है जिसके साथ हम जर्मनों का कई आयामों वाला नाता है, लेकिन वहां प्रेस की आजादी नहीं बची है. अगर हम अपने मिशन को गंभीरता से लेते हैं तो यहां कदम उठाने की सख्त जरूरत है."
वक्ताओं ने विदेशियों को ऑनलाइन जर्मन सिखाने की डॉयचे वेले की पहल और डीडब्ल्यू एकेडमी की भी तारीफ की. एकेडमी विदेशी पत्रकारों को उनके देश और बर्लिन में प्रशिक्षण देती है.
शुभकामनाओं का सिलसिला
समारोह के दौरान मशहूर राजनीतिक और सांस्कृतिक हस्तियों ने वीडियो संदेश के जरिए डीडब्ल्यू को शुभकामनाएं दी. इस तरह बधाई देने वालों में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई, रूस के आलोचक दिवंगत लेखक अलेक्जेंडर सोल्झेनित्सिन की पत्नी, कीव के मेयर और पूर्व बॉक्सिंग चैंपियन विताली क्लिचको और यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर भी शामिल थे.
जर्मनी की सभी राजनीतिक पार्टियों के सदस्य और प्रतिनिधि समारोह में शामिल हुए. उन्होंने अपनी शुभकामनाएं दीं. वक्ताओं ने शीत युद्ध के दौरान पश्चिम की सूचनाओं के लिए डीडब्ल्यू भी भूमिका का जिक्र किया. लिम्बुर्ग ने इस दौरान जर्मन इतिहास के काले अध्याय का जिक्र करते हुए जिम्मेदारियों की भी याद दिलाई.
लिम्बुर्ग ने कहा, "60 लाख यहूदियों की हत्या को याद रखना भी जर्मन पहचान का मतलब है. हमने अतीत में कई बार इस बारे में रिपोर्टिंग की है और हम आगे भी ऐसा करते रहेंगे. कट्टरपंथी और राष्ट्रवादी इस मुद्दे पर हमारा नजरिया नहीं बदल सकते."
बीते 65 सालों में डॉयचे वेले ने हमेशा खुद को पश्चिमी लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीयकरण के पक्ष में रखा है. मौजूदा जर्मन सरकार ने देश के सरकारी प्रसारक के लिए फंड बढ़ाने का वादा किया है. सरकार इस बात से सहमत है कि 1953 के बाद से अब दुनिया की कायापलट हो चुकी है, ऐसे में लक्ष्य बिल्कुल वही है कि मुक्त समाज के मूल्यों को बढ़ावा दिया जाए और उनकी सुरक्षा की जाए.