ग्रैफिटी रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल
४ जून २०१३जर्मनी में सैनिक इस्तेमाल वाले ड्रोन पर चल रही बहस के बीच ग्रीन पार्टी के सांसद वोल्फगांग वीलांड शिकायत करते हैं, "दस साल में हमारा आसमान ड्रोन से भरा होगा." पार्टी के गृह नीति प्रवक्ता का कहना है कि इस प्रक्रिया को काबू में रखने के लिए गंभीर सोच विचार की जरूरत है. हालांकि जर्मनी की राष्ट्रीय रेल कंपनी डॉयचे बान का कहना है कि ग्रैफिटी पेंटिंग को रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर वह सही कदम उठा रही है.
जर्मन रेल का कहना है कि 2012 में ग्रैफिटी के 14,000 मामले पाए गए, जिससे 70 लाख यूरो का नुकसान हुआ. ग्रैफिटी चित्रकारी रंग वाले डब्बे से स्प्रे करके की जाती है. अनजान लोग रेल के डब्बों पर स्प्रे कर पेंटिंग कर देते हैं, जिन्हें धुलवाने पर रेल का लाखों का खर्च होता है.अब रेल कंपनी इस बात की जांच कर रही है कि क्या ड्रोन का इस्तेमाल कर ग्रैफिटी पेंटरों को रोका जा सकता है. डॉयचे बान के एक प्रवक्ता ने कहा है कि 60,000 यूरो महंगे और इंफ्रारेड कैमरों से लैस मिनी हेलिकॉप्टरों को रेल की संपत्ति के ऊपर उड़ाया जाएगा, ताकि ग्रैफिटी आर्टिस्टों को पकड़ा जा सके.
बेतुका विचार
रेलवे की योजना में कोई कानूनी अड़चन नहीं है, जब तक कि रिमोट संचालित मिनी हेलिकॉप्टरों को बहुत ज्यादा ऊंचाई पर नहीं उड़ाया जाता और उसे सिर्फ रेल की मिल्कियत वाले इलाकों की निगरानी में लगाया जाता है. हवाई परिवहन कानून के विशेषज्ञ एल्मार गीमुल्ला का कहना है कि उनके विचार से ड्रोन का इस्तेमाल पूरी तरह से अर्थहीन है. वे कहते हैं कि चूंकि ड्रोन के पाइलटों को लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी, उन्हें सिर्फ उस इलाके पर उड़ाया जा सकेगा जो पाइलट की निगाहों में हो. "यदि मैं उड़ने वाले यंत्र को उसका पाइलट होने के कारण देख सकता हूं तो उसे दूसरे भी देख सकते हैं."
अंधेरे में ड्रोन का इस्तेमाल कर सकने के लिए उस पर रोशनी लगानी होगी ताकि पाइलट को पता चल सके कि वह कहां पर है. लेकिन ऐसा होने पर वह दूसरों की भी निगाहों के सामने होगा. जैसा कि गीमुल्ला ने बताया रेल की संपत्ति पर रंग स्प्रे करने वाले भी उसे देख पाएंगे. ऐसे में उसका कोई लाभ मिल पाएगा इसमें संदेह है.
चोर सिपाही
वकील पैट्रिक गाउ गीमुल्ला की दलील को एक कदम आगे ले जाते हैं. गाउ ग्रैफिटी विशेषज्ञ हैं, वे जानते हैं कि छुपकर चोरी से ग्रैफिटी करने वाले किस तरह से सोचते हैं. उनका मानना है कि वे इसे चोर सिपाही का खेल समझ सकते हैं. जैसे ही ग्रैफिटी करने वालों को ड्रोन का पता चलेगा, वे दूसरी जगह पर चले जाएंगे, जहां ड्रोन नहीं होगा, और वहां ग्रैफिटी करने लगेंगे. "सारा मामला हटकर दूसरी जगह चला जाएगा."
गाउ का मानना है कि मिनी हेलिकॉप्टरों के इस्तेमाल से और ज्यादा ग्रैफिटी को बढ़ावा मिल सकता है. "इसकी वजह से ऐसे मामले हो सकते हैं जहां आप यूट्यूब वीडियो देखेंगे जिसमें इस तरह के ड्रोनों की फिल्म होगी और उसके पीछे ग्रैफिटी स्प्रे करते दो लोग, सिर्फ ये दिखाने के लिए कि देखो हम डॉयचे बान को बेवकूफ बना सकते हैं."
दूसरे हल
इतना ही नहीं वकील गाउ ड्रोन के इस्तेमाल कोअपराध की तुलना में बहुत बढ़ा चढ़ा भी मानते हैं. "हम यहां सचमुच मूंगफली को तोड़ने के लिए हथौड़े का इस्तेमाल कर रहे हैं." उनका कहना है कि ट्रेन को रंगना छोटे स्तर का अपराध है, भले ही डॉयचे बान इस पर कितना भी हंगामा करे. इसके विपरीत पुलिस अधिकारी सिर्फ तब ड्रोन का इस्तेमाल कर सकते हैं जब उन्हें यह पता करना हो कि अत्यंत गंभीर अपराध के पीछे किसका हाथ है.
गाउ की सलाह है कि रेल कंपनी को ड्रोन खरीदने के बदले अपनी ट्रेनों में विशेष वार्निश लगाने पर निवेश करना चाहिए. इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल दूसरी जगहों पर भी हो रहा है. वे स्प्रे से फेंके जाने वाले रंग को डब्बों पर चिपकने नहीं देते. उन्हें बहुत आसानी से हटाया जा सकता है.
गूगल अर्थ
ग्रीन सांसद वोल्फगांग वीलांड शहरों में निगरानी रखने वाले ड्रोनों के इस्तेमाल को निजता के कारणों से पूरी तरह खारिज करते हैं. "यदि मैं अपने बगीचे में घास पर लेटा हुआ हूं तो मैं नहीं चाहूंगा कि ऊपर से कोई मेरी तस्वीर ले या फिल्म बनाए." उनका कहना है कि यदि सीमा नहीं खींची जाती तो एक तरह का स्थायी गूगल अर्थ विकसित हो जाएगा.
वोल्फगांग वीलांड को भले ही शहरों में ड्रोन के इस्तेमाल पर आपत्ति हो, वे मानते हैं कि देहाती इलाकों में तारों की चोरी रोकने के लिए रेल लाइनों की निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन मौजूदा कानून इसकी इजाजत नहीं दोता. एलमार गीमुल्ला कहते हैं कि रेल लाइनों के लंबे हिस्से पर नजर रखने के लिए रिमोट से संचालित ड्रोन की जरूरत होगी, लेकिन उनपर इस समय कानूनी रोक है. "फिलहाल यह संभव नहीं है."