गोधरा फैसले से दंगों को सही ठहराना गलत: मोइली
१ मार्च २०११विशेष अदालत ने अपने फैसले में गोधरा कांड को सुनियोजित साजिश करार दिया है हालांकि जिस व्यक्ति पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया उसे बरी कर दिया गया है. अब 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है जबकि 20 को आजीवन कारावास मिला है. वीरप्पा मोइली ने अदालत के फैसले पर कहा, "ट्रेन को जलाए जाने की घटना पर आए इस फैसले से उसके बाद हुए दंगों को सही नहीं ठहराया जा सकता."
2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में आ रहे 59 कारसेवक एक डिब्बे में आग लगने से जिंदा जल गए. इसके बाद गुजरात में दंगे हुए जिनमें 1 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. विशेष अदालत ने अपने फैसले में इस घटना को सुनियोजित साजिश माना है. मोइली का कहना है कि दंगों को न्यायोचित कैसे ठहराया जा सकता है. जिन लोगों पर दंगों में शामिल होने के आरोप लगे हैं उनके खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए.
गोधरा फैसले के बाद बीजेपी ने बयान दिया था कि अदालत के आदेश से अब उन आरोपों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी कि दंगों को नरेंद्र मोदी की सरकार ने भड़काया. इसके जवाब में मोइली ने कहा कि वह इस बयान पर टिप्पणी नहीं करेंगे. "
गोधरा कांड पर आयोगों की अलग अलग रिपोर्टें आ चुकी हैं. नानावती कमीशन को अपनी रिपोर्ट देनी है. जस्टिस मुखर्जी की भी रिपोर्ट है. मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता हूं." यूसी बनर्जी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रेन में आग अंदर से लगी.
वैसे मोइली का कहना है कि गोधरा पर विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है. फैसले पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि 31 लोगों को दोषी माना गया और 63 को बरी कर दिया गया है. मुख्य साजिशकर्ता को भी दोषी नहीं माना गया है.
वहीं बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने इस फैसले को सही ठहराया है. पुंज के मुताबिक गुजरात सरकार को बदनाम करने के अभियान पर अब रोक लगनी चाहिए. पुंज का कहना है कि अब ऐसे आरोप लगने भी बंद होने चाहिए कि ट्रेन में आग कारसेवकों ने ही लगाई ताकि दंगों को भड़काया जा सके.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार