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गैंडों की रक्षा के लिए ड्रोन

९ अप्रैल २०१३

भारत में लुप्त हो रहे गैंडों की हिफाजत के लिए ड्रोन विमानों को तैनात किया गया है. आसमान से जमीन पर निगाह रखने वाले ड्रोन काजीरंगा नेशनल पार्क में उड़ान भरेंगे और गैंडों पर हो रहे हमलों के बारे में जानकारी देंगे.

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Indische Panzernashörnerतस्वीर: AP

ताकतवर कैमरों से लैस मानवरहित ड्रोन विमानों ने सोमवार को पहली बार उत्तर पूर्वी राज्य असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में उड़ान भरी. करीब 430 वर्ग किलोमीटर में फैले नेशनल पार्क में शिकारियों की गतिविधियों पर अब इन विमानों की नजर होगी. असम के वन और पर्यावरण मंत्री रोकीबुल हुसैन ने कहा, "इन विमानों की उड़ान गुरुवार तक चलेगी फिर रक्षा मंत्रालय से अनुमति मिल जाने के बाद इनकी नियमित उड़ान शुरू हो जाएगी. इसके अलावा हम एक नए निगरानी तंत्र 'इलेक्ट्रॉनिक आय' को भी तैनात करने जा रहे हैं जो क्लोज सर्किट कैमरे की तर्ज पर काम करेगा."

यह ड्रोन उन विमानों से अलग हैं जिनका इस्तेमाल अमेरिका अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा पर आतंकवादियों के खिलाफ करता है. इसमें लगे कैमरे तस्वीरें तो भेज देंगे लेकिन हमला करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को ही आगे आना होगा. हुसैन ने बताया कि जंगल के सुरक्षाकर्मियों को स्वचालित हथियारों से लैस किया जा रहा है जिससे कि शिकारियों पर लगाम लगाई जा सके. इन कैमरों की मदद से बिना जंगल में घुसे ही शिकारियों की गतिविधियों के बारे में पता लगाया जा सकेगा.

Eingang Kaziranga Park Indien
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यानतस्वीर: DW

एक सिंग वाले दुर्लभ गैंडों की वैश्विक आबादी का करीब 75 फीसदी हिस्सा भारत के असम राज्य में रहता है. दुनिया में अब केवल 2400 एक सिंग वाले गैंडे ही बचे हैं. असम के जंगलों के प्रमुख संरक्षक सुरेश चांद ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया, "शिकार एक बहुत गंभीर समस्या है और गैंडे हमेशा ही भारी खतरे की जद में रहते हैं."

चांद ने यह भी बताया कि शिकारियों ने इस साल 16 गैंडों का शिकार किया जबकि पिछले साल कुल 22 गैंडे शिकारियों के हत्थे चढ़े थे. शिकारी इन गैंडों के सिंग और उनकी खाल के लिए इनका शिकार करते हैं. माना जाता है कि इन सिंगों और खून में कामोत्तेजक प्रभाव होता है इसका इस्तेमाल एशिया में बनने वाली कई पारंपरिक दवाइयों में किया जाता है. इसके अलावा इनकी खाल भी बहुत मोटी और मजबूत होती है. इनका इस्तेमाल पहले बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने में भी होता था. यही खाल, खून और सिंग गैंडों की जान के दुश्मन बन गए हैं.

एनआर/एएम(डीपीए)

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