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गुजरात में नरेंद्र मोदी और शंकर सिंह वाघेला अनशन पर

१७ सितम्बर २०११

भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश में शांति, एकता और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए तीन दिन के अनशन पर बैठ गए हैं. मोदी को जवाब देने के लिए कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला भी अनशन पर बैठे.

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तस्वीर: AP

सद्भावना मिशन के नाम से यह अभियान मोदी के 62वें जन्मदिन पर शुरू किया गया है. गुजरात यूनिवर्सिटी के कन्वेंशन सेंटर में शुरू किए गए अभियान के मौके पर बीजेपी और उसके सहयोगी शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता भी पहुंचे. अनशन पर बैठने से पहले नरेंद्र मोदी ने एक बयान भी जारी किया है. माना जा रहा है कि यह बयान 2002 में राज्य में हुए सांप्रदायिक दंगों के लिए पहली बार उनकी तरफ से माफी मांगने का संकेत है.

माफी मांगने का संकेत

मोदी ने कहा है, "भारत का संविधान हम सब लोगों से ऊपर है. राज्य का मुख्यमंत्री होने के कारण राज्य के किसी भी इंसान को हुआ दर्द मेरा दर्द है. सबको इंसाफ देना राज्य का कर्तव्य है." अल्पसंख्यकों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए मोदी ने कहा है कि राज्य ने यह जान लिया है कि सांप्रदायिक उन्माद और जातिवाद की मदद से देश में कोई आगे नहीं बढ़ सकता. इसके साथ ही मोदी ने उन लोगों के प्रति आभार भी जताया है जो पिछले 10 सालों में उनकी गलतियों पर लोगों का ध्यान दिलाते रहे हैं. अनशन शुरू करने के मौके पर बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन, स्मृति ईरानी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी मौजूद थे. बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के प्रमुख सदस्य शिरोमणी अकाली दल की तरफ से पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी वहां आए. पिछले दो दशकों से बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही शिवसेना के वरिष्ठ नेता भी मोदी के इस मिशन को समर्थन देने के लिए पहुंचने वाले हैं. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की तरफ से भी मोदी के समर्थन में दूत भेजने की उम्मीद जताई जा रही है.

कांग्रेस का जवाब

बीजेपी के इस अभियान का जवाब देने के लिए गुजरात कांग्रेस के नेता शंकर सिंह वाघेला और अर्जुन मोडवाडिया भी अनशन पर बैठ गए हैं. कांग्रेस नेताओं ने अपना अनशन साबरमती आश्रम के बाहर फुटपाथ पर शुरू किया है. शंकर सिंह वाघेला ने अपना अनशन मोदी के अनशन से एक घंटे पहले ही शुरू कर दिया. कांग्रेस ने मोदी के अनशन को "पांचसितारा" अनशन कहा है. शंकर सिंह वाघेला ने इस मौके पर कहा, "पांच सितारा और सात सितारा संस्कृति का इस्तेमाल एक हथियार की तरह अपनी छवि चमकाने के लिए किया जा रहा है. मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूं अनशन पर जाने की जरूरत क्या है. सरकारी खजाने से करोड़ों रूपये खर्च की जरूरत क्या है. अगर वह (मोदी) अनशन करना चाहते हैं तो यह काम घर में रह कर भी कर सकते थे. मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें यह सब तमाशा करने की कोई जरूरत नहीं." वाघेला ने सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए.

सोमवार को गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिली राहत के बाद मोदी ने एलान किया कि वह तीन दिन के लिए सद्भावना मिशन के तहत अनशन करने जा रहे हैं. अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने बताया कि मोदी के अनशन के लिए गुजरात कन्वेंशन सेंटर के एक छोटे से कमरे को रेस्ट रूम में बदल दिया गया है. गुजरात सरकार ने कन्वेंशन सेंटर पर  हो रही घटनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए लिए खास इंतजाम किए हैं. कन्वेंशन सेंटर पर हो रही हलचल के पल पल का हाल इंटरनेट के जरिए दुनिया में कहीं भी देखा जा सकता है. पुलिस ने बताया है कि मोदी और वाघेला के अनशन के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

सांप्रदायिकता के आरोप

2002 में गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे हुए और इस दौरान करीब 2000 लोगों की मौत हुई. राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप है कि उन्होंने जान बूझ कर पुलिस और सुरक्षा बलों को कार्रवाई करने से रोका जिस वजह से दंगों पर काबू पाने में देरी हुई. इसके साथ ही इन दंगों को गोधरा कांड के प्रति राज्य के लोगों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया बता कर मोदी ने कट्टर हिंदुत्व का अपना चेहरा दुनिया के सामने रख दिया. बीते सालों में जब भी मोदी से इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की गई वो सवालों से बचते रहे और माफी मांगना तो दूर कभी खेद जताना भी जरूरी नहीं समझा.

हाल के दिनों में दो बातें एक साथ हुईं एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने मोदी पर मुकदमा चलाने का फैसला निचली अदालत के पाले में ये कहते हुए डाल दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश देने लायक मामला नहीं है. दूसरी तरफ अमेरिकी संसद की रिपोर्ट में गुजरात को भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रशासन और विकास वाला राज्य बताया गया. एक के बाद एक कर आई इन दो अच्छी खबरों ने मोदी को जबर्दस्त मौका दे दिया है कि नेतृत्व के संकट से जूझ रही बीजेपी के सामने वो अपनी दावेदारी पेश कर दें. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी माना है कि मोदी अगले चुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार हो सकते हैं. देश और विदेश की रिपोर्टों में विकास और कुशल प्रशासन देने वाले मुख्यमंत्री के माथे पर सांप्रदायिकता की कालिख है,  मोदी ने शुरूआत ठीक उस जगह पर पैबंद लगाने की कोशिश से की है जहां उनकी चादर फटी हुई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

 

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