गांधी के भ्रष्ट हो जाने वाले बयान पर कायम कुमारस्वामी
१४ अप्रैल २०११कुमारस्वामी ने कहा, "अगर गांधीजी आज राजनीति में होते तो वह या तो (भ्रष्टाचार पर) समझौता कर लेते या राजनीति छोड़ देते. मैं अपने शब्दों से पीछे नहीं हटूंगा." गांधी पर कुमारस्वामी के इस बयान की चौतरफा निंदा हुई. लेकिन कुमारस्वामी का कहना है कि उन्होंने जानबूझ कर गांधी के नाम का इस्तेमाल किया ताकि पता चले कि राजनीति भ्रष्टाचार में डूब गई है.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि राष्ट्रपिता का निरादर करने का उनका कभी इरादा नहीं रहा है. वह कहते हैं, "हमारे पार्टी कार्यालय में गांधीजी और जेपी (जयप्रकाश नारायण) के चित्र मौजूद हैं. यह उनके प्रति हमारा सम्मान है." कुमारस्वामी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रस्तावित लोकपाल बिल की क्षमता पर सवाल उठाते हैं. वह कहते हैं कि प्रस्तावित लोकपाल समिति में सरकार के नियुक्त किए सदस्य हैं. फिर कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वे भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रभावी कदम सुझाएंगे. वह सवाल करते हैं, "क्या अब तक लोकायुक्त किसी भ्रष्ट अधिकारी को सजा दे पाया है. हमने लोकायुक्त के अधिकारियों को बहुत से अधिकारियों के घर छापे मारते देखा है. फिर उसके बाद क्या होता है."
कुमारस्वामी यह भी साफ करते हैं कि वह गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को किसी तरह हतोत्साहित नहीं करना चाहते. उनके मुताबिक नारायण की ऐसी मुहिम नाकाम रही. वह कहते हैं, "मेरी दिली ख्वाहिश हैं कि अन्ना हजारे की मुहिम का भी यही अंत न हो." अन्ना हजारे ने पिछले दिनों दिल्ली में अनशन कर सरकार को लोकपाल विधेयक पर राजी होने के लिए मजबूर किया.
पिछले दिनों जब गांधी पर बयान की हजारे समेत सभी लोगों ने निंदा की तो कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी बात का गलत मतलब निकाला गया है. अन्ना हजारे ने कहा, "अगर हमारे नेता इस तरह की बातें करेंगे तो फिर भ्रष्टाचार को कैसे खत्म किया जाएगा." वहीं वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कुमारस्वामी के बयान को फिजूल की बयानबाजी बता कर खारिज किया. बीजेपी प्रवक्ता ने भी कुमारस्वामी के बयान को यह कह कर ठुकरा दिया, "कुमारस्वामी से आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन