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गवर्नर को हटाने का सवाल ही नहीं: चिंदबरम

२३ मई २०११

कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी सरकार की मांग को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्यपाल एचआर भारद्वाज को वापस नहीं बुलाया जाएगा. राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश के चलते भन्नाई है बीजेपी.

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तस्वीर: UNI

कर्नाटक में बीजेपी और राज्यपाल एचआर भारद्वाज के बीच तनातनी लंबे समय से चल रही है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यपाल ने केंद्र से कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने और विधानसभा स्थगित रखने की सिफारिश की थी जिसके बाद से बीजेपी ने राज्यपाल विरोधी अपने सुरों को और तीखा कर लिया है. बीजेपी ने यूपीए सरकार से राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग की लेकिन केंद्र ने इसे मानने से इनकार कर दिया है.

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तस्वीर: AP

राज्यपाल की सिफारिश को ठुकराने के बावजूद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, "गवर्नर को वापस बुलाने का सवाल ही नहीं है." राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रपति शासन लगाने के पक्ष में जो तर्क दिए हैं उससे हमें आर्टिकल 356 लागू करने के निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए. रविवार रात राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हुई जिसमें गवर्नर की सिफारिश को खारिज कर दिया गया. चिदंबरम ने कहा है कि यह फैसला करते समय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी विचार किया जिसमें बीजेपी विधायकों के निष्कासन को रद्द किया गया है.

एडवाइजरी होगी जारी

चिदंबरम ने कहा है कि गवर्नर की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र कर्नाटक सरकार को एडवाइजरी जारी करेगी. केंद्र सरकार इससे पहले भी राज्य सरकारों को विशेष परिस्थितयों में एडवाइजरी जारी करती रही है ताकि किसी खास मुद्दे पर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया जा सके. जब चिदंबरम से पूछा गया कि येदियुरप्पा सरकार के लिए क्या सलाह है तो उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार में शामिल न रहो." केंद्र सरकार का मानना है कि राज्यपाल ने अपने फर्ज को निभाया और सरकार ने अपना फैसला लिया.

कर्नाटक में पिछले साल विश्वास मत के दौरान बीजेपी के विद्रोही विधायकों को अयोग्य करार दिया गया था जिसके बाद राज्य सरकार ने सरकार बचा ली. अब सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को पलट दिया है. हालांकि येदियुरप्पा सरकार का दावा है कि ये विधायक अब फिर उन्हें समर्थन देने को तैयार हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम

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