खुले में शौच करने के लिए पीट पीट कर बच्चों की जान ले ली
२६ सितम्बर २०१९शिवपुरी के पुलिस सुपरिटेंडेंट राजेश चंदेल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि दोनों बच्चों की पहचान 12 साल की रोशनी और 10 साल के अविनाश के रूप में की गई है. इन दोनों पर बुधवार को स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 6 बजे के करीब हमला किया गया. इस मामले में हकाम सिंह और रामेश्वर सिंह नाम के दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. चंदेल ने बताया, "आरोपी मानसिक रूप से स्थिर हैं और उन्होंने पूछताछ में इस अपराध को कबूल किया है." इसके साथ ही चंदेल ने यह भी कहा कि मामले की जांच चल रही है. आरोपी या उनके किसी प्रतिनिधि से फिलहाल बात नहीं हो सकी है.
दोनों बच्चे दलित समुदाय से आते हैं. भारत में जाति के आधार पर भेदभाव की घटनाएं बहुत आम हैं, खासतौर से ग्रामीण इलाकों में जहां आज भी आबादी का बड़ा हिस्सा रहता है. पुलिस अधिकारी चंदेल और अविनाश के पिता मनोज बाल्मिकी ने बताया कि मारपीट से पहले दोनों परिवारों के बीच काफी कहासुनी हुई और इस दौरान जाति को लेकर अपशब्द भी कहे गए. 32 साल के बाल्मिकी का कहना है, "हमारे गांव में छूआछूत के बहुत मामले हैं. हमारे बच्चे उनके बच्चों के साथ खेल नहीं सकते."
शौचालयों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण अकसर खुले में शौच के लिए जाते हैं. इसकी वजह से स्वास्थ्य को नुकसान होने के साथ ही कई दूसरी समस्याएं भी पैदा होती हैं. खासतौर से महिलाओं के लिए तो यह शर्मिंदगी और सुरक्षा का भी बड़ा मामला बन गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने खुले में शौच खत्म करने को अपनी प्राथमिकताओँ में शामिल किया है. प्रधानमंत्री ने 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की और भारत को इस साल 2 अक्टूबर तक खुले शौच से मुक्त कराने का वादा किया था.
अमेरिका के ह्यूस्टन में भारतीय अमेरिकी लोगों और राष्ट्रपति ट्रंप के सामने भाषण में कहा था कि भारत से खुले में शौच लगभग समाप्त हो गया है. एक दिन पहले ही अमेरिका के गेट्स फाउंडेशन ने मोदी को देश में शौचालय बनवाने और खुले शौच को खत्म करने की कोशिशों के लिए पुरस्कार दिया है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश भर में करोड़ों की संख्या में शौचालय बनाये गए हैं और इसमें खासतौर से गरीब लोगों और इलाकों का ध्यान रखा गया है. हालांकि बहुत सी जगहों पर अब भी समस्या बनी हुई है. ताजा घटना से भी इस बात की तस्दीक होती है. शिवपुरी के जिलाधिकारी अनुग्रह पी ने बताया कि जिस भाउखेड़ी गांव में दोनों परिवार रहते हैं और उसे 2018 में खुले शौच से मुक्त घोषित किया गया था. हालांकि मनोज बाल्मिकी के घर में आज भी शौचालय नहीं है.
एनआर/एके (रॉयटर्स)