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खत्म हो रही हैं बड़ी मछलियां

१९ फ़रवरी २०११

भले ही कहा जाता हो कि बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है लेकिन स्थिति बदल गई है. अब तो बड़ी मछलियां ही गायब हो गई हैं और छोटी मछलियां रह गई हैं. इसका जिम्मेदार है- इनसान.

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तस्वीर: AP

वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले 100 साल के मुकाबले समुद्रों में सिर्फ एक तिहाई बड़ी मछलियां बच गई हैं, जबकि छोटी मछलियों की संख्या बढ़ गई है. कोड, टूना या ग्रूपर जैसी बड़ी मछलियों की संख्या दो तिहाई कम हो गई है. ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में कहा गया है कि दूसरी तरफ अनकोवीज, सरडाइन्स और केपलीन जैसी मछलियों की संख्या बढ़ गई है.

BDT Orthodoxe Weihnachten in Serbien
तस्वीर: AP

रिसर्च में यह भी कहा गया है कि इनसान पहले से ज्यादा तनमयता से मछलियों का शिकार कर रहा है लेकिन उन्हें पहले से कम मछलियां मिल रही हैं. यह इस बात का संकेत हो सकता है कि समुद्र अब मनुष्य को ज्यादा भोजन देने के मूड में नहीं है.

यूनिवर्सिटी के विली क्राइस्टेनसन ने कहा, "ज्यादा मछलियां मारने से वैसी ही हालत हो सकती है कि जब बिल्ली भाग जाएगी, तो चूहे खेलेंगे. बड़ी मछलियों के खत्म होने से छोटी मछलियां ही समुद्र में बची हैं."

Genveränderte Fluroszierende Zebrafische sind in der Weihnachtszeit ein Verkaufsschlager
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रिसर्च में यह भी पता चला है कि पिछले 40 साल सबसे खराब रहे हैं, जिस दौरान बड़ी मछलियां बड़ी तेजी से खत्म हुई हैं. यूनिवर्सिटी ने 1880 से 2007 के बीच के समुद्री जीवन पर शोध के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है.

उनका कहना है कि छोटी मछलियों की संख्या बढ़ने के बावजूद मछलियों की संख्या में कुल इतना इजाफा नहीं हो पाया है कि वे मनुष्यों की जरूरतों को पूरा कर सकें.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः एन रंजन