क्या नाराज किसानों ने बीजेपी को हराया है?
१३ दिसम्बर २०१८2014 के आम चुनाव के बाद, एक के बाद एक कई राज्यों में जीत का परचम बुलंद करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का हाथ से निकल जाना खासा बड़ा झटका है. तीनों ही राज्यों में बीजेपी सत्ता में थी और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो लंबे समय से.
जिन दो वजहों को बीजेपी के खराब प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है, उनमें वादे के मुताबिक रोजगार के अवसर पैदा ना कर पाना और किसानों की फसल का वाजिब दाम ना मिलना प्रमुख हैं.
बीजेपी के एक प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल कहते हैं, "हम समझते हैं कि ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहा तनाव और रोजगार के अवसर पैदा करना अहम मुद्दे हैं और हम इन पर काम कर रहे हैं. इन्हें हल करना होगा और इसके लिए जो भी जरूरी सुझाव होंगे, हम लेंगे."
ये हैं भारत के किसानों की समस्याएं
वहीं केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गड़करी ने ईटी नॉउ बिजनेस चैनल से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार में कृषि क्षेत्र की अनदेखी हुई है.
अग्रवाल कहते हैं कि बीजेपी ने अगले साल होने वाले आम चुनावों के लिए रणनीति बना ली है, जो संभवतः मई में होंगे. पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट अग्रवाल एक सरकारी बैंक के निदेशक भी हैं. वह कहते हैं कि नौकरियों के असवर पैदा करने के लिए छोटे उद्योगों को कर्ज देने पर मुख्य रूप से ध्यान है और साथ ही सरकारी एजेंसियां सरकार की तरफ से निर्धारित दामों पर किसानों की फसल खरीदेंगी ताकि उन पर कोई दबाव ना हो.
सरकार किसानों की ज्यादातर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है लेकिन कई अध्ययन बताते हैं कि सरकारी एजेंसियां सिर्फ गेंहू और चावल जैसे अनाज ही किसानों से इस मूल्य पर खरीदती हैं. ऐसे में देश के 26.3 करोड़ किसानों में से सिर्फ सात प्रतिशत को ही समर्थन मूल्य का फायदा मिल पाता है.
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद केंद्र की मोदी सरकार किसानों के कर्ज माफ करने का एलान कर सकती है ताकि उनकी नाराजगी दूर की जा सके और अगले आम चुनाव में उन्हें अपनी तरफ आकर्षित कर सकें.
अग्रवाल मध्य प्रदेश में बीजेपी की हार की एक वजह खेतीबाड़ी को बताते हैं. उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में कृषि उत्पादन बहुत बढ़ गया है जिससे बाजार में कृषि उत्पादों की कीमतें घट जाती हैं. उनके मुताबिक इससे आम उपभोक्ताओं को फायदा होता है लेकिन किसान को मार झेलनी पड़ती है. वह कहते हैं, "अब तक मुख्य रूप से उपभोक्ताओं पर ही ध्यान रहा है, जैसे प्याज महंगी हो गई तो उसका आयात कर लिया. लेकिन अब हमें सिर्फ उपभोक्ता को नहीं, बल्कि उत्पादक को भी देखना होगा."
एके/एमजे (रॉयटर्स)