कोलकाता में थूकना अब पड़ेगा महंगा
१७ जून २०१२ममता बनर्जी सरकार ने राजधानी कोलकाता को पिंक सिटी जयपुर की तर्ज पर ब्लू सिटी बनाने के लिए इस साल जनवरी से शहर की तमाम प्रमुख इमारतों, पुलों और फ्लाईओवरों को नीले व सफेद रंग के मेल से सजाने का फैसला किया था. करोड़ों के खर्च वाली शहर को खूबसूरत बनाने की इस योजना पर पान व गुटके की पीक भारी पड़ रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर अंकुश लगाने के लिए कोलकाता नगर निगम और पुलिस प्रशासन को ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इसके लिए आठ साल पुराने एक कानून ‘वेस्ट बंगाल प्रिवेंशन आफ स्पिटिंग इन पब्लिक प्लेस एक्ट' को और धारदार बनाया जा रहा है.
धारदार कानून
कोलकाता के लाखों लोगों को पान और गुटका चबा कर जहां-तहां थूकने की पुरानी आदत है. बदलाव की लहर पर सवार होकर पिछले साल सत्ता में आई नई सरकार भी लोगों की इस आदत पर अंकुश नहीं लगा सकी. मुख्यमंत्री की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए सरकारी अधिकारी अब उस कानून के तहत ऐसा करने वालों से कम से कम दो सौ रुपए जुर्माना वसूलने की योजना को अंतिम रूप दे रहे हैं. इस मुद्दे पर कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी और पुलिस आयुक्त आरके पचनंदा के बीच इसी सप्ताह बैठक हुई है. इसमें जुर्माने की रकम बढ़ाने पर भी विचार किया गया गया. कुछ साल पहले पान और गुटके की पीक से हावड़ा ब्रिज को होने वाले नुकसान का खुलासा होने के बाद सरकार सक्रिय हुई थी. लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका था.
नीले और सफेद रंग की थीम
अब नई सरकार ने जब शहर को सुंदर बनाने के लिए नीले व सफेद रंग की थीम को चुना तो पान खाने वाले उसे भी बदरंग बनाने पर तुल गए हैं. सरकार की इस योजना के तहत तमाम प्रमुख इमारतों, ब्रिजों, फ्लाईओवरों और सड़कों के किनारे लगी रेलिंग को इसी थीम पर रंगा जा रहा है. राज्य सचिवालय और नगर निगम मुख्यालय जैसी हेरिटेज सूची में शुमार कुछ इमारतों को उनके असली लाल रंग में ही रखा जाएगा. लेकिन शहीद मीनार समेत दूसरी तमाम इमारतों को नीले और सफेद रंग में रंगने की योजना है. विक्टोरिया मेमोरियल के आसपास तो पेड़ों को भी इसी रंग में रंग दिया गया है.
कानूनी कार्रवाई भी संभव
लेकिन पान और गुटका खाने वाले इस सरकारी योजना पर पानी फेर रहे हैं. ममता ने जब फ्लाई ओवर की दीवारों और सड़क के किनारे लगी रेलिंग पर पान की पीक देखी तो वे काफी नाराज हुईं. उसी के बाद उन्होंने सरकारी अधिकारियों को इस पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया. मेयर शोभन चटर्जी कहते हैं, ‘हमें यह गंदगी हर हाल में रोकनी होगी. इससे शहर का सौंदर्य खराब हो रहा है. इसलिए ऐसा करने वालों के खिलाफ जुर्माना तो लगाया ही जाएगा, कड़ी कानूनी कार्रवाई पर भी विचार हो रहा है.'
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आठ साल पहले कानून बनने के बावजूद अब तक उसके तहत एकाध लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई हुई है. भारत जैसे देश में थूकने पर पाबंदी लगाना बेहद मुश्किल है. लेकिन अब मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद हमें कानून पर कड़ाई से अमल करना होगा. भले ही इसके लिए कुछ लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं करना पड़े.
मेट्रो रेल में भी है जुर्माना
थूकने पर इस जुर्माने की शुरूआत ममता बनर्जी के रेल मंत्री में रहते कोलकाता मेट्रो परिसर में शउरू हुई थी. लेकिन वहां सूचना लगी होने के बावजूद लोग ऐसा करने से बाज नहीं आते. विडंबना यह है कि मेट्रो रेलवे स्टेशन के बाहर जहां हिंदी,अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं में थूकने पर ढाई सौ रुपए जुर्माने की चेतावनी दी गई है, वहीं नीचे पान की पीक से दीवारों का रंग ही बदल गया है. बाद में अब स्टेशन परिसर सुरक्षा बलों को ऐसा करने वालों पर निगाह रखने के लिए तैनात किया गया है. उसके बाद इन घटनाओं में कुछ हद तक कमी आई है.
आम लोगों में खुशी
सरकार की इस कार्रवाई से पान चबाने वालों की आदत पर किस हद तक अंकुश लगेगा, यह तो कहना मुश्किल है. लेकिन आम लोग इससे खुश हैं. एक सरकारी अधिकारी रंजन सेन कहते हैं, ‘यह पहल ठीक है. जुर्माना भरने वाले कम से कम दोबारा थूकने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे.' कालेज छात्रा सोहिनी दास भी सरकार के इस कदम का समर्थन करती हैं. वह कहती हैं, ‘जुर्माने की रकम कम से कम पांच सौ रुपए होनी चाहिए. ताकि लोग जहां-तहां थूकने की हिम्मत नहीं करें.'
रिपोर्टः प्रभाकर,कोलकाता
संपादनः आभा मोंढे