कोरोना: दिल्ली में फिर बिगड़ रहे हैं हालात
२६ अगस्त २०२०आखिरी बार इस तरह की संख्या 16 जुलाई को दर्ज की गई थी, जिस दिन शहर में 1,652 नए मामले आए थे. उसके पहले जून में दिल्ली की हालत और ज्यादा खराब थी. रोज लगभग 2,000 नए मामले सामने आ रहे थे और 60 के आस पास लोगों की जान जा रही थी. कोविड-19 की जांच में भारी कमी होने की लगातार खबरें आ रही थीं. अस्पतालों में बिस्तरों के खाली ना होने की भी खबरें आ रही थीं और बताया जा रहा था कि कई संक्रमित व्यक्तियों की भी अस्पतालों में भर्ती नहीं हो रही थी.
हालात इतने खराब हो गए थे कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कोविड-19 प्रबंधन में गंभीर त्रुटियों के लिए फटकारा था. उसके बाद दिल्ली सरकार कोविड-19 प्रबंधन की रणनीति में कई बदलाव ले कर आई. रैपिड जांच की मदद से जांच की संख्या बढ़ाई, प्रभावशाली कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी की, कन्टेनमेंट इलाकों को और बारीकी से चिन्हित किया और अस्पतालों में प्रबंधन को भी सुधारा. इसमें दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार का सहयोग भी मिला.
उसके बाद नए मामलों का गिरना शुरू हुआ और जुलाई के अंत तक तो ऐसी स्थिति बन गई थी कि रोजाना सिर्फ 600 के आस पास नए मामले सामने आ रहे थे. लेकिन अब फिर से हालात चिंताजनक मोड़ ले रहे हैं. जांच की संख्या भी गिर गई है और पॉजिटिविटी दर, यानी जांच किए गए सैंपलों में से पॉजिटिव निकलने वाले सैंपलों का प्रतिशत, भी बढ़ रही है. जहां ये दर छह प्रतिशत से नीचे गिर गई थी, वहीं अब दर 7.7 प्रतिशत पर है. सोमवार को तो दर 8.9 प्रतिशत पर पहुंच गई थी.
मंगलवार को सिर्फ 19,841 सैंपलों की जांच की गई, जब कि पिछले महीने रोजाना 20,000 से ज्यादा सैंपलों की जांच की जा रही थी. कुछ दिन ऐसी भी थे जब 24,000 से ज्यादा सैंपलों की जांच हुई थी. जानकार मान रहे हैं कि जांच की संख्या का गिरना सीधे तौर पर स्थिति के और बिगड़ने से जुड़ा हुआ है. संभव है कि स्थिति संभलने पर प्रशासन ने थोड़ी ढील दे दी और वहीं चूक हो गई. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अधिकतर जगहों पर देखा यही जा रहा है कि जहां भी महामारी के खिलाफ स्थिति में थोड़ा भी सुधार हुआ है, वहां प्रशासन के ढील देते ही हालात फिर बिगड़ जाते हैं.
न्यूजीलैंड में 102 दिनों तक संक्रमण का एक भी नया मामला सामने नहीं आया, लेकिन जैसे ही लोग निश्चिंत होना शुरू हुए वहां महामारी ने फिर से पैर पसारना शुरू कर दिया. विशेषज्ञों का कहना है कि सबक यही है कि वायरस के खिलाफ कुछ दिनों की कामयाबी को उससे स्थायी छुटकारा समझ लेना एक भूल है और हर जगह सरकारों और आम लोगों को लगातार सतर्क बने रहना चाहिए.
भारत में कोविड-19 प्रबंधन की नोडल संस्था आईसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने एक अखबार से बातचीत के दौरान कहा है कि दिल्ली-एनसीआर में आबादी का घनत्व और लोगों की आवाजाही ज्यादा है, इसलिए यहां लगातार सावधानी बरतने की जरूरत है.
राष्ट्रीय स्तर पर तो स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी ही हुई है. जहां यूरोप के कई देशों में संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है, भारत में तो अभी पहली लहर ही चलती चली जा रही है. पिछले 24 घंटों में 67,151 नए मामले सामने आए हैं और 1,059 लोगों की जान चली गई है. इस बीच, हांगकांग में एक व्यक्ति के दोबारा संक्रमण होने के मामले की दुनिया में पहली बार पुष्टि होने के बाद, तेलंगाना में अधिकारियों ने कहा है की वहां भी ऐसे दो मामले दर्ज किए गए हैं.
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