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कॉमनवेल्थ में भारत की उम्मीदें

ओंकार सिंह जनौटी (संपादन: एस गौड़)१७ सितम्बर २०१०

कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी इस बार भारत कर रहा है, लिहाजा अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव सबसे ज्यादा है. कुछ खेल ऐसे हैं जहां भारत सबसे ताकतवर दिखाई पड़ता है. इन खेलों में निशानेबाजी, बॉक्सिंग और पुरुष हॉकी और टेनिस हैं.

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तस्वीर: AP

निशानेबाजी में भारत के पास वर्ल्ड चैंपियन अभिनव बिंद्रा और तेजस्विनी सांवत हैं. गगन नारंग भी निशाना भेदने के माहिर हैं. निशानेबाजों के बीच कुल 26 मुकाबले होंगे. 16 पुरुषों के और 10 महिलाओं के. खिलाड़ियों के सामने कई तरह के लक्ष्य होंगे, जिन पर 26 गोल्ड मेडल टंगे होंगे.

पूरी उम्मीद है कि इनमें दो गोल्ड मेडल भारत के स्टार निशानेबाज अभिनव बिंद्रा अपनी झोली में गिराएंगे. बिंद्रा 2002 से लगातार 10 मीटर एयर रायफल और 10 मीटर पेयर्स में जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं. ओलंपिक में 28 साल बाद भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले अभिनव अब तक शीर्ष अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में पांच गोल्ड मेडल जीत चुके हैं.

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निशानेबाजी में उनका साथ गगन नारंग देंगे. नारंग भी अब तक अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में चार स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. 2003 में पहली बार एफ्रो एशियन खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाला यह निशानेबाज लगातार सधे प्रदर्शन के लिए मशहूर है. हाल ही जर्मनी के म्यूनिख शहर में हुई वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में भी नारंग ने कांस्य पदक जीता. कॉमनवेल्थ में तो राह कहीं ज्यादा आसान है.

शूटिंग में भारत की एक नई उम्मीद महीने भर पहले ही जर्मनी में पैदा हुई. यूं तो महाराष्ट्र की तेजस्विनी सावंत 2006 में ही पहला सोने का तमगा जीत चुकी थीं, लेकिन उनकी प्रतिभा पर इस बार वूमन शूटिंग चैंपियनशिप के दौरान नजर गई.

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30 साल की तेजस्विनी 10 मीटर एयर रायफल से लेकर 50 मीटर एयर रायफल में हिस्सा लेती हैं. वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में वह दोनों तरह के मुकाबलों में स्वर्ण जीत चुकी हैं. लिहाजा यहां से भी एक पदक की उम्मीद पक्की दिखाई पड़ती है.

कॉमनवेल्थ खेलों में भारत को अगर निशानेबाजी के अलावा कहीं ओर से पदक जीतने की सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं तो वह हैं मुक्केबाजी और बैडमिंटन. विजेंदर कुमार, अखिल कुमार और दिनेश कुमार हरियाणा के दोस्तों की यह तिकड़ी करोड़ों खेल प्रेमियों को निराश नहीं करेगी. वर्ल्ड बॉक्सिंग से लेकर ओलंपिक और फिर कॉमनवेल्थ बॉक्सिंग चैंपियशिप तक पदकों की झड़ियां लगा देने वाले ये मुक्केबाज गजब की फॉर्म में है.

इन्हें आदर्श मानकर युवा बॉक्सरों की भी एक नयी फौज कॉमनवेल्थ में भिड़ने के लिए तैयार है. जाहिर है ऐसी स्थिति में विपक्षी मुक्केबाजों को भारतीय बॉक्सरों से बचना भी होगा और डरना भी होगा.

बैडमिंटन में देश की उम्मीदों का नेतृत्व साइना नेहवाल करेंगी. इसी साल लगातार तीन बड़े मुकाबले जीतने वाली साइना कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हैं. विश्व की नंबर दो खिलाड़ी साइना का कहना है कि अपने देश में अपने लोगों के सामने पदक जीतने में उन्हें अभूतपूर्व खुशी होगी.

आखिर में ही सही लेकिन उम्मीदें पुरुषों की हॉकी टीम से भी हैं. हॉकी वर्ल्ड कप में भले ही टीम बेहतर प्रदर्शन न कर पाई हो लेकिन अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट में उसने चक दे कर दिया. पाकिस्तान को 2-4 से रौंदने के बाद भारत के 11 लड़ाकों ने विश्वविजेता ऑस्ट्रेलिया को भी कुचल दिया.

मिस्र को सात गोल से धो डाला. कला, तेजी और स्टिक का जादू ऐसा चला कि भारत संयुक्त रूप से विजेता बन गया. उस प्रदर्शन को याद रखा जाए तो लगता है कि हॉकी टीम भी चक दे इंडिया का मौका दे सकती है.

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