कॉमनवेल्थ खेलों में देह व्यापार का अखाड़ा
२६ अगस्त २०१०खेलों की तरह देह व्यापार भी मानव इतिहास के साथ प्राचीन समय से जुड़ी है और शुरू से ही यह खेलों से जुड़ गई. जहां कहीं भी विश्व स्तर पर कोई खेल आयोजन हुआ है, वहां सेक्स इंडस्ट्री में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित फीफा विश्व कप इसका ताजा उदाहरण है. कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान भी ऐसा ही कुछ होने के आसार हैं.
कॉमनवेल्थ खेलों के लिए खिलाड़ियों की तैयारियों, आयोजन समिति की मशक्कत के अलावा भी कुछ है, जो सैलानियों को आकर्षित कर सकता है और वह है इन दिनों यहां बढ़ती सेक्स वर्कर्स की हलचल.
दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान भी सेक्स आधारित व्यवसाय में जबरदस्त बढ़ोतरी की संभावना है. आने वाले लाखों पर्यटकों के साथ देश विदेश की सेक्स वर्कर्स ने भी दिल्ली में डेरा डालना शुरू कर दिया है. अनुमान के मुताबिक कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान नेपाल, बांग्लादेश, थाईलैंड, म्यांमार से लेकर यूक्रेन, जॉर्जिया, चेचन्या, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान और अजरबेजान जैसे देशों से हजारों सेक्स वर्कर्स दिल्ली आएंगी. इसके अलावा पश्चिमी देशों की भी सेक्स वर्कर्स बड़ी संख्या में कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान दिल्ली में अपनी 'सेवाएं' देने के लिए मौजूद रहेंगी, लेकिन इनकी कीमत ज्यादा होने से इनकी संख्या अपेक्षाकृत अन्य देशों से आई सेक्स वर्कर्स की तुलना में कम होगी.
भारत सरकार ने कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान सेक्स वर्कर्स की भारी तादाद में मौजूदी को भांपते हुए 'कोड ऑफ एथिक्स' भी जारी किए हैं, जिनसे सेक्स इंडस्ट्री अपनी हदें पार नहीं कर सके. इसके अलावा कई गैर सरकारी संगठन भी 'सेफ सेक्स' के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं. यहां तक की सरकार ने खेलों के दौरान दिल्ली के कुछ चुनिंदा स्थानों पर पहली बार सार्वजनिक रूप से कंडोम वेंडिंग मशीनों को भी लगाए जाने की व्यवस्था की है.
यह तो बात हुई विदेशी सेक्स वर्कर्स की, लेकिन अगर बात करें देसी सेक्स वर्कर्स की तो इनकी संख्या भी कम नहीं है. कॉमनवेल्थ खेल के आयोजन के दौरान भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के कई सेक्स वर्कर्स दिल्ली में अपना डेरा डाल रही हैं. दिल्ली में इन दिनों सेक्स वर्करों के काम करने की जगहें भी बढ़ गई है और यदि रिकॉर्ड देखें तो पता चलता है कि दिल्ली पुलिस ने पिछले कई महीनों से बड़े पैमाने पर किसी सेक्स रैकेट के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. सोनू पंजाबन वाले मामले को छोड़ दें तो पुलिस पिछले कई सालों से इन रैकेट्स के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है. पुलिस के इस ढीले रवैये से कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन को देखते हुए दिल्ली में पिछले एक साल से देह व्यापार के कई नए अड्डे पनपे हैं.
इन दिनों इंटरनेट के माध्यम से सोशल नेटवर्किंग साइट्स और फ्रेंड्स क्लबों ने इस धंधे को सबके लिए आसानी से उपलब्ध करवा दिया है. हाल ही में सामाजिक और सांस्कृतिक मंत्रालय ने देश में बढ़ती एस्कॉर्ट सेवाओं के चलन पर चिंता जताते हुए संबधित विभागों से इस संबंध में जवाब-तलब किया है.
क्या है कानून
भारत में सेक्स व्यवसाय या इससे जुड़ी प्रत्यक्ष गतिविधियां प्रतिबंधित है और इसे भारतीय कानून के तहत अपराध माना गया है. इम्मोरल ट्रेफिक सप्रेशन एक्ट (सीटा) 1956 के तहत भारत में देह व्यापार अपराध है.
सीटा कानून में 1986 में संशोधन करके इसे इम्मोरल ट्रेफिक प्रिवेंशन एक्ट (पीटा) नाम दिया गया. इसके अंतर्गत देह व्यापार का प्रचार करना भी अपराध है. किसी भी तरह की सेक्स सर्विस का विज्ञापन या फोन नंबर किसी भी माध्यम से प्रेषित करना गैरकानूनी है. इसके साथ ही साथ ही किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र में वेश्यालय नहीं चलाया जा सकता. इसी तरह से मसाज क्लबों या हेल्थ स्पा के नाम से की जा रही अनैतिक गतिविधियां या संगठित देह व्यापार अपराध है. लेकिन इसके लिए लगाई जाने वाली कानूनी धाराओं में कई लूप होल हैं और अधिकतर धाराएं जमानती हैं.
भारत में देह व्यापार अवैध है, लेकिन दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान सेक्स रैकेट गुपचुप तरीके से 'लचर कानून' का फायदा उठाकर तगड़ी कमाई करने का इरादा रखते हैं. सरकार के रवैये से भी लगता है कि वह इस बारे में नरम रुख बनाए हुए है.
दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान सेक्स वर्कर्स की बढ़ती 'सक्रियता' से पर्यटन मंत्रालय चिंतित है. मंत्रालय की चिंता इस बात को लेकर है कि खेलों के इस महाकुंभ के दौरान सेक्स वर्कर्स की बढ़ती उपलब्धता सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकती है. हालांकि सरकार ने इससे निपटने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं.
एक अनुमान के मुताबिक कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान देश के कई इलाकों से सेक्स वर्कर्स दिल्ली पहुंचेंगी, जिससे सेक्स इंडस्ट्री में जबरदस्त उछाल आने की प्रबल संभावना है. कॉमनवेल्थ खेलों के लिए कई विदेशी पर्यटक दिल्ली आएँगे और वे सेक्स वर्कर्स को उनके नियमित भाव से कहीं अधिक रुपए देंगे, यही देश भर की सेक्स वर्कर्स का दिल्ली में जमा होने का मूल कारण है. वे इस सीजन को हाथ से जाने देना नहीं चाहतीं.
इन खेलों की आड़ में पनपते इस चमड़ी के धंधे से होने वाली मोटी कमाई की उम्मीद के चलते सेक्स संबंधी अपराधों में भी बढ़ोतरी होगी जिससे दिल्ली और आस-पास के रिहायशी सामाजिक ढांचे पर भी असर पड़ेगा.
रिपोर्टः शराफत खान (सौजन्यः वेबदुनिया)
संपादनः ए कुमार