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काग़ज़ की बैटरी

२५ दिसम्बर २००९

साधारण क़ाग़ज़ को आने वाले समय में एक लाइटवेट बैटरी की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. इस बैटरी का उपयोग उन उपकरणों में किया जा सकता है जो मुद्रित सामग्री को ईमेल, ईकिताब और ऑनलाइन न्यूज़ में बदल रही हैं.

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अब काग़ज़ से भी बनेगी बैटरीतस्वीर: picture alliance / landov

अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने चांदी और कार्बन के अति सूक्ष्म पदार्थों से बनी स्याही से लिपटने कागज़ को पेपर बैटरी में तब्दील कर दिया है. ऊर्जा के भंडारण के लिए ये सफल साबित होगी. ये दावा किया जा रहा है. क़ागज़ के एक साधारण से टुकड़े को एक ख़ास स्याही में डाला जाए तो हो सकती है एक बैटरी तैयार. हल्की फुल्की बैटरी. बात है तो चौंकाने वाली लेकिन यही दावा किया है स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने.

Altpapier in Deutschland
तस्वीर: DW-TV

क़ाग़ज़ को कार्बन की नैनोट्यूब्स और सिल्वर के नैनोवायर्स से तैयार स्याही में भिगोया जाता है. इस पेपर को तोड़ मोड़ा भी जा सकता है और किसी अम्ल या बेसिक द्रव में डुबोया जाए, तो भी कारगर रहता है. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक यी कुई ने इससे पहले प्लास्टिक के इस्तेमाल से अति सूक्ष्म पदार्थों से बने ऊर्जा स्टोरेज उपकरण तैयार किए थे.

लेकिन उनकी नई रिसर्च में दिखाया गया है कि पेपर बैटरी ज़्यादा टिकाऊ है क्योंकि स्याही कागज़ के साथ बेहतर तरीक़े से चिपक जाती है. और ये एक ऊर्जा बैटरी का काम करने लगती है जिसका इस्तेमाल कई जगह किया जा सकता है.

वैज्ञानिक यी कुई का कहना है कि ये नैनो पदार्थ विशिष्ट हैं. ये एकआयामी चीज़ है जिसका आकार बहुत छोटा होता है. अपने छोटे डायमीटर की वजह से नैनो मटैरियल इंक रेशेदार क़ाग़ज़ से मज़बूती से चिपक जाती है. और इस तरह पेपर बैटरी को टिकाऊ उपकरण बना देती है.

इसे पेपर सुपर कैपेसिटर भी कहा जा रहा है. यह क़रीब 40 हज़ार चार्ज डिस्चार्ज चक्रों तक काम करती रह सकती है. लिथियम बैटरी की तीव्रता का मुकाबला करने में सक्षम. यी कुई का कहना है कि नैनो पदार्थ आदर्श कंडक्टर भी साबित होते हैं क्योंकि साधारण कंडक्टरों के मुक़ाबले वे बिजली को ज़्यादा कुशलता से संवाहित कर पाते हैं.

कागज़ का लचीलापन और भी कई एप्लीकेशन्स में काम आ सकता है. यी कुई कहते हैं कि अगर वह अपनी दीवार को किसी ऊर्जा भंडारण उपकरण से पेंट करा चाहते हैं तो ब्रश का इस्तेमाल कर सकते हैं. सामान्य बैटरियों की तरह पेपर कैपेसिटरों में एक विद्युत आवेश रहता है लेकिन कम वक़्त के लिए. लेकिन कैपेसिटर, बैटरी के मुक़ाबले ज़्यादा तेज़ी से बिजली को स्टोर कर सकते हैं या उसकी ख़पत कर सकते हैं.

इलेक्र्टिर या हाइब्रिड कही जाने वाली कारों में इसका इस्तेमाल हो सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि डिस्ट्रीब्यूशन ग्रिड में बड़े पैमाने पर बिजली के भंडारण में इस रिसर्च से बड़ा असर पड़ सकता है. मिसाल के लिए रात में अत्यधिक बिजली उत्पादन को दिन के पीक समय में इस्तेमाल के लिए बचाया जा सकता है. सौर ऊर्जा सिस्टम्स और पवनचक्कियों में भी इस नई भंडारण तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है.

बर्कले स्थित कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में कैमिस्ट्री के प्रोफेसर फीतोंग यांग कहते हैं कि इस तकनीक का कम समय में कमर्शियल उत्पादन कर सकने की संभावना है. बिजली उपकरणों में भी ये एक कम खर्चीले, टिकाऊ और लचीले एल्ट्रोड की तरह काम आ सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस जोशी

संपादन: एस गौड़