ओबामा से मिलने का सपना संजोए है एक कारीगर
२६ सितम्बर २०१०बैंगलोर के सिल्क कारीगर गुरुम आर. नारायणप्पा का सपना अब जल्दी ही पूरा हो सकता है. वह नवंबर में भारत दौरे पर आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी को अपने हाथों से बुना उपहार देना चाहते हैं. नारायणप्पा को उम्मीद है कि सरकार ओबामा के बैंगलोर दौरे की व्यवस्था करेगी ताकि वह अपने हाथों से उन्हें उपहार दे सकें. लेकिन अगर यह संभव न हो तो किसी तरह उनका उपहार ओबामा तक पहुंच जाए.
नारायणप्पा को अपनी कला के लिए कई अवॉर्ड मिल चुके हैं. उन्होंने ओबामा को विशुद्ध सिल्क का एक स्कार्फ और उनकी पत्नी को साड़ी देने का सपना संजोया है. लेकिन आखिर उनके मन में यह ख्याल कैसे आया ? गुरुम बताते हैं, "मुझे दो महीने पहले अखबारों के जरिए पता चला कि ओबामा यहां आने वाले हैं. उसी समय मेरे मन में उनको कोई उपहार देने का ख्याल आया. मैंने तभी इस पर काम शुरू कर दिया.
वह बताते हैं कि स्कार्फ बनाने में तो दो हफ्ते लगे, लेकिन साड़ी बनाने में दो महीने से भी ज्यादा समय लगेगा. आधी से ज्यादा "साड़ी तैयार हो चुकी है. नारायणप्पा की पत्नी कमाल अम्मा भी इस काम में अपने पति का पूरा सहयोग कर रही हैं. वह कहती है, "यह खुशी की बात है कि 70 साल की उम्र में भी मेरे पति किसी के लिए कुछ करना चाहते हैं. मैं इस काम में उनकी हरसंभव सहायता कर रही हूं.
ओबामा के लिए बनाए गए एक वर्गमीटर के स्कार्फ का वजन महज 30 ग्राम है. साढ़े छह मीटर की साड़ी जब तैयार हो जाएगी तो उसका वजन महज 70 ग्राम होगा और यह माचिस की एक डिबिया में काफी आसानी से समा सकती है. आम तौर पर सिल्क की साड़ियों का वजन 600 ग्राम से एक किलो तक होता है.
नारायणप्पा कहते हैं कि ओबामा से आमने-सामने मुलाकात होने पर खुशी होती. लेकिन मैं चाहता हूं कि मेरा यह उपहार किसी तरह उनके हाथों में पहुंच जाए. वह कहते हैं कि यह उपहार भारतीय संस्कृति का प्रतीक है."
केंद्रीय सिल्क बोर्ड और कर्नाटक के सिल्क मंत्री ने भी उनके उपहारों को ओबामा तक पहुंचाने का भरोसा दिया है. कर्नाटक सिल्क उद्योग निगम के पूर्व निदेशक टी.एच.सोमशेखर कहते हैं कि वह नारायणप्पा को बीते 10-12 वर्षों से जानते हैं. उन्होंने कहा, "नारायणप्पा ने मुझे कुछ दिनों पहले ओबामा को उपहार देने के बारे में बताया. हम इस काम में उसकी पूरी सहायता करेंगे."
अब नारायणप्पा को ओबामा दंपती के भारत पहुंचने का बेसब्री से इंतजार है.
रिपोर्टः प्रभाकर मणि तिवारी, बैंगलोर
संपादनः वी कुमार