ऐम्बर बदल सकता है इतिहास
२५ अक्टूबर २०१३बॉन के श्टाइनमन इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक ऐसे एक ऐम्बर की समीक्षा कर रहे हैं, जो भारत के उत्तर पश्चिम इलाके से मिला है. इस खोज ने उप महाद्वीप के विकास पर नई रोशनी डाली है. सुनहरे ऐम्बर में करीब पांच करोड़ साल पुराने कीड़े का जीवाश्म मिला है. रिसर्चर इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के जरिए जीवाश्म की पड़ताल कर रहे हैं. इस ऐम्बर की खासियत है कि इसमें पूरा कीड़ा बंद है.
पांच करोड़ साल पुराने जीव
बॉन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर येस रुस्ट बताते हैं, "इसकी वजह यह है कि कुटिकुला यानी कीड़े का बाहरी आवरण गोंद में पाई जाने वाले तत्वों की वजह से पॉलिश हो गया है. यानी कीड़े का पूरा हिस्सा इसकी वजह से सुरक्षित हो गया और जीवाश्म तीन आयामों वाला बन गया. इसका मतलब यह कि हम कीड़े को उसके सभी अंगों के साथ ऐम्बर से बाहर निकाल सकते हैं."
रिसर्चरों को माइक्रोस्कोप में देख कर तय करना होता है कि पत्थरों पर आगे काम किया जाए या नहीं. या फिर उन्हें कहां तक छीलें ताकि अंदर बंद कीड़े को नुकसान न पहुंचे. बॉन में अब तक 2,000 से ज्यादा पत्थरों पर रिसर्च किया जा चुका है. वैज्ञानिक यहां कीड़े के अंदर के ढांचे को देखते हैं. प्रोफेसर येस रुस्ट बताते हैं, "यहां हम सवा पांच करोड़ साल पुराने जीव को देख रहे हैं. हम मक्खी के दिमाग के अंदर जा सकते हैं और वहां कोशिकाओं की बनावट देख सकते हैं."
कब बना भारत
कीड़ों पर रिसर्च का सबसे खास नतीजा यह है कि भारत में जो जीवाश्म मिले, वैसे ही एशिया के दूसरे हिस्सों में और यूरोप में भी मिले हैं. भारत में जब ये ऐम्बर पत्थर विकसित हुए होंगे, उससे पहले ही कीड़ों की प्रजातियां एक दूसरे से मिल चुकी होंगी. यानी इतिहास की कुछ बातों पर दोबारा विचार करने की जरूरत है.
ऐम्बर पर रिसर्च करने से पता चलता है कि भारत की एशियाई महाद्वीप से टक्कर के बारे में जैसा सोचा जाता है, असल में वह उससे कहीं पहले हुई होगी.
यह समझा जाता रहा है कि भारत कोई 16 करोड़ साल पहले पूर्वी एशिया के भूखंड से अलग हुआ और महासागर में तैरता हुआ आगे निकल गया. इसके बाद अभी से करीब चार या पांच करोड़ साल पहले एक जबरदस्त टक्कर हुई, जिसकी वजह से हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ.
कुछ जगहों पर ऐसी हड्डियां भी मिली हैं, जो इस बात का समर्थन करती हैं कि भारत की एशियाई महाद्वीप से टक्कर बहुत पहले हो चुकी थी. कीड़ों के जीवाश्म पर हो रही रिसर्च इस धारणा को पुख्ता करती जा रही है.
रिपोर्ट: मार्टिन रीबे/अनवर अशरफ
संपादन: ईशा भाटिया