एशियाड में टीम न भेजे जाने से कुंबले निराश
४ जून २०१०भारतीय टीम की बागडोर संभाल चुके अनिल कुंबले 1998 में उस टीम का हिस्सा रह चुके हैं जिसने क्वालालम्पुर में कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया था. अनिल कुंबले ने कहा कि एशियाड में टीम को नहीं भेजना वाकई निराशाजनक है. "1998 में कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने वाली क्रिकेट टीम में मैं भी शामिल था और एथलीट समुदाय का हिस्सा बनना मुझे बेहद अच्छा लगा."
कुंबले के मुताबिक उन्होंने पुलेला गोपीचंद को बैडमिंटन खेलते देखा और भारतीय हॉकी टीम के भी मैच देखे जो आम तौर पर संभव नहीं हो पाता. "एक भारतीय खिलाड़ी के रूप में मैं एशियन गेम्स, ओलंपिक या फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में जरूर खेलना चाहूंगा."
भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने चीन के ग्वांगजो में महिला या पुरुष क्रिकेट टीम नहीं भेजने का फैसला किया है जिससे कुंबले खासे निराश हैं. चीन में इस साल नवंबर में एशियाई खेल होने हैं और पहली बार क्रिकेट भी शामिल है.
बीसीसीआई ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मैच पहले से ही तय होने के चलते वह टीम को एशियाड में भेजने में असमर्थ है. लेकिन उसका यह तर्क बहुत से खिलाड़ियों के गले से नीचे नहीं उतर रहा है और पेइचिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुके विजेंद्र सिंह उनमें से एक हैं.
"अगर वे यहां नहीं खेलना चाहते तो फिर क्रिकेट को एशियाई खेलों में शामिल ही नहीं किया जाना चाहिए. अगर भारत ही उसमें हिस्सा नहीं लेगा तो फिर क्रिकेट के शामिल होने का अर्थ ही नहीं है."
विजेंद्र सिंह इस बात को भी नहीं मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मैच पहले से तय होने की वजह से टीम को भेजना संभव नहीं है. विजेंद्र के मुताबिक हर खिलाड़ी का कार्यक्रम पहले से निर्धारित होता है लेकिन एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स या फिर ओलंपिक के लिए हर बात को अलग हटा कर वहां शामिल होने की कोशिश की जाती है. विजेंद्र मानते हैं कि देश का प्रतिनिधित्व करना सर्वोपरि होता है. यह राष्ट्रीय गौरव का विषय है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य