एक बाघ और एक बच्चे की कहानी
३ दिसम्बर २०१२ऐंग ली की फिल्म में पाय का परिवार भारत से कनाडा एक जहाज में निकल पड़ता है. जहाज में उनके चिड़ियाघर से कई जानवर भी साथ हैं लेकिन समुद्र के बीचों बीच एक हादसे के बाद जहाज में केवल पाय और बाघ बचते हैं. शुरुआत में पाय को डर तो लगता है और वह सोचता है कि जब तक बाघ को खाना मिलता रहेगा, वह पाय को जान से नहीं मारेगा. दोनों 227 दिन एक साथ गुजार लेते हैं.
बहरहाल भारत में अब भी सैंकड़ों बाघ शिकारियों के हाथ मारे जाते हैं. इसकी एक खास वजह है चीन और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में बाघों की बढ़ती मांग. खासकर चीन में बाघों की हड्डियों से दवा बनाई जाती है. मनुष्यों और जानवरों के बीच जगह की समस्या भी बाघों की घटती संख्या में दिखाई देती है. अब जानवरों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा संगठन पेटा इस फिल्म के जरिए लोगों में बाघ और उसकी परेशानियों के बारे में जानकारी फैलाना चाहता है. भारत में कुल 1,706 बाघ हैं जो दुनिया में पूरी बाघ जनसंख्या का लगभग 50 प्रतिशत है. लेकिन यह संख्या 1947 में बाघों की संख्या से काफी कम है. उस वक्त भारत में 40,000 से ज्यादा बाघ रहते थे.
बाघों पर हमले भी बढ़ने लगे हैं. हाल ही में बांग्लादेश की सीमा के पास गांववालों ने एक बाघ को पत्थरों से मार डाला. यह बाघ सुंदरबन से आया था. बाघ पर शक था कि उसने कई मछुआरों पर हमला किया. नई दिल्ली में जंगलों और जानवरों पर फिल्में बना रहे गुरमीत सपल कहते हैं, "लोग जब बाघ को देखते हैं तो उनकी पहली प्रतिक्रिया उन्हें मारने की होती है. लोगों को इतना डर लगता है कि वह सोचना बंद कर देते हैं. हमें नहीं समझ में आता कि बाघ तब हमला करते हैं जब उनके पास कोई और चारा नहीं होता."
साथ ही भारत में बाघों के खाल की तस्करी भी होती है. अब तक देश में 58 बाघ मारे जा चुके हैं. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया में काम कर रहे मयुख चैटर्जी कहते हैं. "बाघ के पास शिकार के लिए ज्यादा नहीं बचा है क्योंकि हम उसके संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. उसे अपने खाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे में मनुष्य उसके लिए आसान शिकार हैं." फिल्मकार सपल भी कहते हैं कि बाघ तभी शिकार करते हैं जब उन्हें भूख लगती है. वह जानवरों को मारकर उन्हें कहीं रखते नहीं. लेकिन संरक्षणकर्ता भी मानते हैं कि अपराधियों को बाघ जिंदा से ज्यादा मरे हुए पसंद आते हैं और इन शानदार जानवरों को जिंदा रखना सबसे बड़ी चुनौती है.
एमजी(एएफपी)