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एक दूसरे के और करीब आए यूरोप

२२ सितम्बर २०१२

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने यूरोप के और करीब आने की वकालत की है. मैर्केल ने दोनों देशों की जिम्मेदारी पर जोर दिया तो ओलांद ने राजनीतिक और सामाजिक एकीकरण की मांग की.

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तस्वीर: dapd

दोनों नेता फ्रांस के राष्ट्रपति चार्ल्स द गॉल के सितंबर 1962 के ऐतिहासिक भाषण की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे. फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने जर्मन शहर लुडविषबुर्ग में जर्मन युवाओं को संबोधित किया था और पुरानी दुश्मनी को भुलाकर नई दोस्ती की नींव रखने का आह्वान किया था. इस भाषण को दोनों देशों की मैत्री संधि की दिशा में एक अहम कदम माना जाता है. दोनों देशों ने 22 जनवरी 2013 को इस संधि पर दस्तखत किए.

मैर्केल ने कहा कि कभी धुर दुश्मन रहे जर्मनी और फ्रांस के मेलजोल ने यूरोपीय एकता की नींव रखी. मैर्केल ने समारोह में आए सैकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अब यूरोपीय संघ बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसका दूरगामी रूप से स्वस्थ होना जरूरी है. उन्होंने युवाओं से जर्मन फ्रांसीसी मेलजोल के संस्थापकों चांसलर कोनराड आडेनावर और द गॉल की भविष्य की खुशियों का असर होने देने की अपील की.

साढ़े सौ आमंत्रित मेहमानों और मैत्री उत्सव में भाग ले रहे हजारों लोगों को संबोधित करते हुए मैर्केल ने द गॉल का भाषण दोनों देशों के युवाओं के लिए वसीयत है. उन्होंने कहा कि जनरल द गॉल ने दूरदर्शिता दिखाते हुए यूरोप का विकास युवा जर्मनों और फ्रांसीसियों की जिम्मेदारी में दे दिया. चांसलर ने दोनों देशों के नौजवानों को कहा कि यह आज भी सही है, "यूरोप का भविष्य आपके हाथों में है." द गॉल के भाषण के बाद एक जर्मन फ्रांसीसी युवा संगठन बनाया गया जो आज भी दोनों देशों के युवाओं के आदान प्रदान और उनको करीब लाने को प्रोत्साहन देता है.

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद ने भी आडेनावर और द गॉल की दूरदर्शिता की तारीफ की और कहा कि वे जर्मन फ्रांसीसी मेलमिलाप के साथ यूरोप में हमेशा के लिए शांति की नींव रखना चाहते थे. द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के दो दशक के अंदर ऐसा करने के लिए बहुत साहस की जरूरत थी. उन्होंने कहा कि आज भी बहुत साहस की जरूरत है जब यूरोप गहरे नैतिक और राजनीतिक संकट में है.

राष्ट्रपति ओलांद ने इस पर जोर दिया कि इस संकट का हल यूरो खुद ही दे सकता है, इसके लिए यूरोपीय संघ में नई संरचना की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बैंकों का संघ बनाने के अलावा बजट संघ, राजनीतिक संघ और सामाजिक संघ बनाने की जरूरत है.

जर्मनी और फ्रांस अगली गर्मियों तक ढेर सारे आयोजनों के जरिए आपसी सहमेल की वर्षगांठ मना रहे हैं. उससे पहले दोनों देशों के बीच कई सारे युद्ध हुए और अपमानजनक संधियां भी हुई जिसने आपसी दुश्मनी को बनाए रखा. जर्मन फ्रांसीसी दोस्ती के साथ यूरोप ने शांति का सबसे लंबा समय देखा है. मैत्री संधि की वर्षगांठ के अंत में अगले साल 22 जनवरी को बर्लिन में दोनों देशों के संसदों की साझा बैठक होगी.

एमजे/एनआर (डीपीए, एएफपी)