उन्नाव मामले में पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर
२३ फ़रवरी २०२१इसी मामले में पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता उदित राज के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है. आरोप हैं कि इन ट्विटर हैंडल्स को चलाने वालों ने उन्नाव की घटना को लेकर फेक न्यूज फैलाने का काम किया. इन ट्विटर हैंडल्स में से एक मोजो स्टोरी का भी है जिसकी प्रमुख वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त हैं. इसके अलावा जनजागरण लाइव, आजाद समाज पार्टी के प्रवक्ता सूरज कुमार बौद्ध, नीलम दत्ता, विजय आंबेडकर, अभय कुमार आजाद, राहुल दिवाकर और सतपाल तंवर का नाम शामिल है. इन सभी के खिलाफ उन्नाव के सदर कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है.
इन 8 ट्विटर हैंडल्स में पूर्व में बीजेपी के सांसद रहे उदित राज का हैंडल भी है जिनके खिलाफ भी इसी मामले को लेकर एफआईआर दर्ज हुई है. यूपी पुलिस का कहना है कि उदित राज ने भी अपने ट्वीट के जरिए गलत और भ्रामक जानकारी फैलाने का काम किया. हालांकि उदितराज ने इस बारे में सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने जो ट्वीट किया था, वह पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले के बयान के आधार पर किया था जिसमें उन्होंने आशंका जताई थी कि मृत लड़कियों के साथ हो सकता है कि रेप भी हुआ हो.
पानी में जहर मिलाकर दिया गया
उन्नाव जिले के असोहा थाना क्षेत्र के बबुरहा गांव में पिछले हफ्ते तीन लड़कियां एक खेत में बेहोशी की हालत में दुपट्टे से बंधी पड़ी मिली थीं. तीनों लड़कियां बुधवार दोपहर मवेशियों के लिए चारा लेने खेत में गई थीं लेकिन जब देर शाम तक वे नहीं लौटीं तो उनकी तलाश की गई. तीनों ही युवतियां एक ही परिवार की थीं जिनमें दो चचेरी बहनें थीं जबकि एक लड़की उन दोनों की रिश्ते में बुआ लगती थी. तीनों की उम्र 13 साल, 16 साल और 17 साल थी. अस्पताल पहुंचने से पहले ही दो लड़कियों की मौत हो गई जबकि एक लड़की गंभीर हालत में कानपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती है.
दोनों लड़कियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट हालांकि अभी सार्वजनिक नहीं हुई है लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि जहरीला पदार्थ खाने से दोनों की मौत हुई जबकि तीसरी लड़की उसी वजह से बीमार हुई है. घटना के तीन दिन बाद लखनऊ की पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मी सिंह ने घटना के बारे में जानकारी दी कि गांव के ही एक युवक ने कथित तौर पर प्रेम प्रसंग की वजह से उनमें से एक लड़की को पानी में जहर मिलाकर दिया था जिसे अन्य दो लड़कियों ने भी पी लिया था. पुलिस ने इस मामले में दो युवकों को गिरफ्तार भी किया है. हालांकि पुलिस के इस दावे पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
घटना के बाद पत्रकारों से बातचीत में परिजनों ने न तो किसी पर संदेह जताया था और न ही किसी से कोई दुश्मनी होने की बात कही थी. यही नहीं, परिजनों के मुताबिक, तीनों लड़कियां अंकसर खेत में चारा काटने के लिए साथ ही जाया करती थीं और उन्होंने कभी इस बात की भी शिकायत नहीं की थी कि उन्हें कोई परेशान करता है. जबकि उन्नाव पुलिस का कहना है कि जिस युवक ने यह काम किया है वह पहले भी उस लड़की को परेशान करता था.
एफआईआर और प्रेस की आजादी
लड़कियों के कुछ परिजनों ने बेटियों के साथ ‘गलत काम' होने की भी आशंका जताई थी, जिसके आधार पर कुछ जगहों पर ऐसी खबरें भी प्रकाशित हुई थीं. एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त का कहना था, "यूपी पुलिस ने उन्नाव में हुई हत्याओं को लेकर मोजो स्टोरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जो कि प्रेस का मुंह बंद करने की कोशिश है. हाथरस में आपने मीडिया के लिए बैरिकेडिंग कर दी, यहां हमने परिवार से बातचीत के आधार पर जो रिपोर्टिंग की, उसके लिए एफआईआर कर रहे हो, लेकिन हम चुप नहीं रहेंगे.”
बरखा दत्त ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा, "हमने पत्रकारिता के सिद्धांतों के मुताबिक रिपोर्टिंग की और हर पक्ष के लोगों की बात रखी. लेकिन इसके बावजूद एफआईआर दर्ज की गई. मैं कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं."
आजाद समाज पार्टी के प्रवक्ता सूरज कुमार बौद्ध ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि उन्हें एफआईआर की कोई परवाह नहीं है. उन्होंने लिखा, "योगी जी, हमारे ट्वीट से किसी को खतरा नहीं है. हम पर एफआईआर करना फालतू काम है."
पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे
कथित तौर पर फर्जी खबरें या भड़काऊ खबरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के मामले में इससे पहले भी यूपी में कई पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर हो चुकी हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर समेत छह पत्रकारों पर तो पिछले महीने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. इन सभी पर गणतंत्र दिवस के दिन आयोजित किसान ट्रैक्टर मार्च से जुड़ी एक खबर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप लगाए गए.
इन सबके खिलाफ दिल्ली से सटे नोएडा के एक थाने में एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई थी. एफआईआर के मुताबिक, इन लोगों ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया था कि लाल किले की घेराबंदी और ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा में दिल्ली पुलिस ने एक किसान को गोली मार दी थी. जिन पत्रकारों के नाम इस एफआईआर में दर्ज हैं, उनमें मृणाल पांडे, राजदीप सरदेसाई, विनोद जोसे, जफर आगा, परेश नाथ और अनंत नाथ शामिल हैं. कई पत्रकार संगठनों ने इस एफआईआर की निंदा करते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी.
यही नहीं, कोविड संक्रमण के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या दौरे पर एक खबर ट्वीट करने के मामले में वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज में एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी जिस पर सिद्धार्थ वरदराजन ने कोर्ट से अग्रिम जमानत ली थी. इनके अलावा कथित तौर पर सरकार विरोधी या सरकार को बदनाम करने जैसे आरोप लगाते हुए यूपी में पिछले कुछ सालों में दर्जनों पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं. कुछ मामलों में कोर्ट ने हस्तक्षेप किया तो कुछ बिना किसी प्रमाण के खुद ही खारिज हो गए लेकिन कई पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई अभी भी जारी है.
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