ईरान से दूतावास कर्मचारियों को ब्रिटेन ने वापस बुलाया
३० नवम्बर २०११ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने यह साफ कर दिया है कि हमारे कर्मचारियों और उनके परिवार की सुरक्षा हमारी तत्काल वरीयता है. पिछले दिन की घटना के बाद उनकी सुरक्षा तय करने के लिए कुछ कर्मचारी वहां से वापस लौट रहे हैं." इससे पहले तेहरान में मौजूद पश्चिमी देशों के कूटनीतिक सूत्रों ने खबर दी थी कि ब्रिटेन अपने सारे कर्मचारियों को ईरान से वापस बुला रहा है. पर अब साफ हो गया है कि केवल कुछ ही कर्मचारियों को वापस लौटने के लिए कहा गया है.
कर्मचारियों का एक समूह खबर लिखे जाने तक तेहरान एयरपोर्ट पर पहुंच चुका था जिसे वहां से दुबई रवाना होना था. ब्रिटिश राजनयिकों ने हमले के बाद पूरी रात यूरोपीय संघ के दूतावासों में गुजारी. एक राजनयिक के मुताबिक ज्यादातर लोग फ्रांस के दूतावास में थे.
मंगलवार को नारे लगाते ईरान के प्रदर्शनकारी ब्रिटेन के दूतावास में घुस गए और वहां भारी तोड़फोड़ की. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ लोग 'ब्रिटेन की मौत' के नारे लगा रहे थे और ब्रिटेन का झंडा भी फाड़ दिया गया. ब्रिटिश दूतावास के दो परिसरों में कई घंटे तक तोड़ फोड़ चलती रही. ईरान के प्रदर्शनकारी ब्रिटेन के इस एलान से नाराज थे कि वह ईरान से आर्थिक मामलों में सारे संबंध तोड़ लेगा. ब्रिटेन की तरफ से आर्थिक प्रतिबंध लगाने का यह फैसला अमेरिका और कनाडा की तरफ से लगाए नए प्रतिबंधों के साथ सहयोग की दिशा में एक कदम है.
ब्रिटिश दूतावास में तोड़फोड़ करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय में निंदा की गई है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस कदम की आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह, "इस घटना से हैरान हैं और उन्हें इस बात से बहुत दुख पहुंचा है कि ईरानी प्रदर्शकारी ब्रिटिश दूतावास में घुस गए, वहां कर्मचारियों को कुछ देर तक बंधक बनाए रखा और तोड़फोड़ की." यहां तक कि ईरान के सबसे बड़े सहयोगी रूस ने भी इस घटना को 'अस्वीकार्य' कहा है.
ईरान के फार्स समाचार एजेंसी ने खबर दी है कि शहर के ऊत्तरी हिस्से मे मौजूद दूतावास पर सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने धावा बोला और पुलिस को उनकी कैद में मौजूद छह राजनयिकों को मुक्त कराने के लिए कई घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी. इसी तरह शहर के बीच सिटी सेंटर मे मौजूद ब्रिटिश दूतावास के दफ्तर पर हुए हमले में प्रदर्शकारियो ने वहां रखे दस्तावेजों को बिखेर कर जला दिया.
ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर अफसोस जताया है. हालांकि कुछ ईरानी अधिकारी इसके लिए ब्रिटेन के उनके देश के प्रति रवैये को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं. ईरानी संसद के स्पीकर अली लारिजानी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से की गई निंदा को 'जल्दबाजी' कहा है. लारिजानी ने कहा, "बहुत से छात्र ब्रिटिश सरकार के रवैये से नाराज थे और दशकों से ब्रिटेन की ईरान के प्रति दिखाई गई दबंगई के कारण उन्होंने ऐसा व्यवहार किया."
संसद की सुरक्षा और विदेश नीति मामलों की कमेटी प्रमुख अलाएद्दीन बोरोजेरदी ने ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना से कहा, "ईरान सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और विएना समझौते का सम्मान करता है इस मामले की वजह से दूसरे राजनयिकों और दूतावासों के मन में किसी तरह का कोई डर नहीं होना चाहिए."
ब्रिटेन ने इस घटना को ईरान सरकार की गंभीर असफलता कहा है अपने देश के नागरिकों से ईरान और दूसरे कुछ देशों की गैर जरूरी यात्रा के लिए चेतावनी जारी की है. साथ ही इन देशों में रह रहे अपने देश के नागरिकों को घरों से बाहर न निकलने की हिदायत दी है.
रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह