ईरान से तेल लेता रहेगा भारत
३० जनवरी २०१२अमेरिकी शहर शिकागो में भारतीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, "हम हर साल 11 करोड़ टन कच्चा तेल आयात करते हैं. हम ईरान से तेल का आयात कम नहीं करेंगे. अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों को बावजूद ईरान भारत के लिए एक अहम देश है."
दो दिनों के अमेरिका दौरे के आखिरी दिन मुखर्जी ने पश्चिमी देशों को यह झटका दिया. भारतीय वित्त मंत्री के इस बयान के बाद साफ हो गया है कि पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ईरान से कच्चा तेल खरीदता रहेगा. मुखर्जी ने कहा, "तेल के मामले में सऊदी अरब, नाइजीरिया और अन्य खाड़ी देश भी योगदान देते हैं लेकिन ईरान का योगदान काफी ठोस है."
विवादित परमाणु कार्यक्रम की वजह से अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. यूरोपीय संघ के 27 देशों ने ईरान से तेल का आयात बंद कर दिया है. इसके अलावा ईरान के वित्तीय संस्थानों को भी निशाना बनाया गया है. ईरान के केंद्रीय बैंक के साथ व्यापार बंद हो गया है. इस वजह से ईरान का काफी पैसा फंसा हुआ है. पश्चिमी देशों को उम्मीद है कि कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के बाद ईरान बातचीत की मेज पर आ सकता है.
दिसंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति ने रक्षा विधेयक के जरिए भी ईरान पर और कड़े प्रतिबंध लगाने का रास्ता खोल दिया. रक्षा विधेयक में कहा गया है कि जो भी देश ईरान की वित्तीय संस्थाओं के साथ व्यापार करेगा, उसे अमेरिकी वित्तीय तंत्र में कारोबार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
लेकिन इन अड़चनों के बावजूद भारत तेल की मांग को पूरा करने के लिए ईरान के साथ व्यापार जारी रखने जा रहा है. भारत में बीते दो साल से महंगाई है. घरेलू बाजार में आए दिन पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं. ऐसे में अगर नई दिल्ली ईरान से तेल का आयात कम करे तो उसे भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. भारत यह भी नहीं चाहता कि ईरान से तेल आयात कम कर उसे अन्य देशों के सामने हाथ फैलाने पड़ें.
प्रणब मुखर्जी ने बेबाकी से कहा, "ईरान उन महत्वपूर्ण देशों में है जो तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं की जरूरत पूरी कर सकता है."
हालांकि कुछ ही दिन पहले अमेरिका में तैनात भारतीय राजदूत निरुपमा राव ने कहा कि भारत में ईरानी तेल का आयात गिर सकता है. राव ने आशंका जताई कि बैंकिंग और वित्त लेन देन को लेकर आ रही अड़चनों की वजह से तेल आयात गिर सकता है. लेकिन अब प्रणब मुखर्जी के बयान से साफ हो गया है कि ऐसा नहीं होगा.
ईरानी तेल के मुद्दे पर भारत के साथ चीन भी खड़ा है. बीजिंग एलान कर चुका है कि वह तेहरान से तेल का आयात जस का तस रखेगा. भारत और चीन के इस रुख से पश्चिमी देशों को परेशानी जरूर होगी. पश्चिमी देशों भारत और चीन की वित्तीय संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने से पहले कई बार गंभीर चिंतन करना होगा. अगर भारत और चीन के वित्तीय तंत्र में अड़चनें आईं तो पश्चिमी देशों को भी इससे बहुत ज्यादा नुकसान होगा.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल