ईरान में चुनाव
ईरान में चुनाव हो रहे हैं. राष्ट्रपति अहमदीनेजाद के उत्तराधिकारी कौन होंगे, इस सवाल के जवाब का इंतेजार पूरे विश्व को है.
वफादारों की भीड़
रेजई ने चुनाव प्रचार के लिए नीला रंग चुना है. उनके समर्थक भी इसी रंग के कपड़े पहने चुनाव प्रचार करते हैं. रेजई का कहना है कि चुनाव जीतने पर वे एक तीसरा रास्ता अपनाएंगे, जिसमें ईरान के नेता के प्रति पूरी वफादारी के साथ साथ फैसलों में आम लोगों को ज्यादा हिस्सेदारी देने की कोशिश की जाएगी.
परमाणु वार्ताकार
ईरान की सरकार के लिए परमाणु विवाद पर बातचीत कर रहे सईद जलीली 48 साल के हैं और राष्ट्रपति पद के लिए सबसे कम उम्र के उम्मीदवार. वह अयातोल्लाह खमेनेई के भी सबसे करीब माने जाते हैं. जलीली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रमुख हैं और पर्यवेक्षकों का मानना है कि वे खमेनेई के पसंदीदा उम्मीदवार है. ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड पसदारान और ईरानी सेना के कुछ हिस्से भी जलीली के करीब हैं.
प्यार का इजहार
ऐसा लगता है कि ईरान का युवा मतदाता भी जलीली को राष्ट्रपति पद पर देखना चाहता है. ईरानी नेतृत्व के नजरिए से देखा जाए तो जलीली जीत के दावेदार लगते है, लेकिन फिलहाल सवाल यह है कि क्या वे लोगों के व्यापक तबके को अपने पक्ष में कर पाएंगे और क्या देश के लोग भी उन्हें पर्याप्त मतों से विजयी करेंगे.
तीसरी उम्मीदवारी
ईरान की जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रिवोल्यूशनरी गार्ड पसदारान के पूर्व प्रमुख मोहसिन रेजई तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए लड़ रहे हैं. उनका चुनावी नारा है, "जिंदगी को सलाम करो." लेकिन विश्लेषक नहीं मानते कि रेजई इस बार भी जीतने लायक मत हासिल कर पाएंगे.
पीछे हटे सुधारवादी
मतदान से कुछ ही पहले एकमात्र सुधारवादी उम्मीदवार मुहम्मद रेजा आरिफ ने अपना नाम वापस ले लिया है. रेजा आरिफ पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद खतामी की सुधारवादी नीतियों पर दोबारा चलने का आह्वान कर रहे थे. उन्होंने देश की मौजूदा हालत की आलोचना की थी और चुने जाने पर महंगाई को रोकने की कोशिश करने का वादा किया था.
किसे होगा फायदा
आरिफ के पीछे हटने का उद्देश्य नरमपंथी माने जाने वाले नेता हसन रोहानी की जीत की संभावना बढ़ाना है. रोहानी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाना चाहते हैं. उम्मीदवारों में वे एकमात्र धार्मिक नेता हैं. 63 साल के रोहानी सुधारवादियों के करीब माने जाते हैं और पश्चिम के साथ बातचीत को संभव मानते हैं.
बैंगनी का जादू
रोहानी ने चुनाव प्रचार के लिए बैंगनी रंग चुना है. चार साल पहले विपक्ष ने मुसावी और कारूबी के नेतृत्व में हरे रंग के झंडे फहराए थे. रोहानी को पूर्व राष्ट्रपति रफसंजानी और खतामी का समर्थन मिला है और माना जा रहा है कि लोगों का बड़ा तबका उनके समर्थन में वोट देगा.
विलायती तजुर्बा
अली अकबर विलायती 1981 से लेकर 1997 तक ईरान के विदेश मंत्री रहे. अयातोल्लाह खमेनेई के विदेश नीति सलाहकार के तौर पर उन्हें सर्वोच्च नेता का समर्थन भी मिला हुआ है. अब वे चुनावों में अपने अंतरराष्ट्रीय तजुर्बे का लाभ उठाना चाहते हैं. उनका कहना है कि विदेशनीति की मुश्किलों को हल करने से घरेलू परेशानियों भी हल हो सकती हैं.
राजधानी के मेयर
तेहरान के मेयर बागेर गालिबाफ अपने काम में सफल रहे हैं और लोगों का समर्थन भी उनके साथ है. पायलट रहे गालिबाफ क्रांतिकारी सेना में भी अफसर रह चुके हैं. चुनाव प्रचार में मेयर ने वादा किया है कि वे समाज में समानता लाने तथा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए काम करेंगे.
कालीन के जादूगर
गालिबाफ का मतलब फारसी में "कालीन बुनने वाला" है. तेहरान में एक समर्थक ने पोस्टर बनाया है जिसमें ईरान को एक खराब कालीन के रूप में दर्शाया गया है जिसे केवल कालीन के जादूगर गालिबाफ सही कर सकते हैं.