इराक़ युद्ध पर बुरे फंसे ब्लेयर
१३ दिसम्बर २००९पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर का कहना है कि 2003 में इराक़ पर हमला सही ठहराने के लिए वह कोई और वाजिब वजह ढूंढ लेते. ब्लेयर मानते हैं कि इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को हटाना सही फ़ैसला था. ब्लेयर के मुताबिक़ सद्दाम हुसैन को हटाने के लिए और लोगों को उनके शासन के ख़तरे से वाकिफ़ कराने के लिए कुछ और तर्कों का सहारा लेना पड़ता अगर सामूहिक विनाश के हथियार की बात नहीं उठती.
ब्लेयर ने स्पष्ट किया कि सद्दाम हुसैन पूरे क्षेत्र के लिए एक ख़तरा बनते जा रहे थे. उन्होंने अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था और इसलिए उन्हें हटाना ज़रूरी हो गया था.
लेकिन बीबीसी के एक टीवी कार्यक्रम में दिए अपने इस बयान के बाद ब्लेयर मुश्किल में पड़ते दिखाई दे रहे हैं. उन पर ब्रितानी संसद को गुमराह करने के आरोप लग रहे हैं और कहा जा रहा है कि परिस्थितियों के अनुरूप अब ब्लेयर अपने तर्क बदल रहे हैं.
ब्रिटेन की लिबरेल डेमोक्रेट्स पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मेंज़िस कैंपबेल ने कहा है कि अगर ब्लेयर उतनी स्पष्टवादिता तब दिखाते जितनी आज दिखा रहे हैं तो उन्हें संसद का समर्थन कभी नहीं मिलता. युद्ध की मुख़ालफ़त करने वाले संगठनों ने टोनी ब्लेयर पर आरोप लगाया है कि उनका बयान युद्धापराध को स्वीकार करने जैसा है.
इराक़ में सामूहिक विनाश के हथियार खोजने वाली टीम के पूर्व प्रमुख हैंस ब्लिक्स ने कहा है कि टोनी ब्लेयर ने युद्ध को सही ठहराने के लिए सामूहिक विनाश के हथियारों की धमकी का सहारा लिया.
टोनी ब्लेयर को अगले साल के शुरू में इराक़ युद्ध की जांच के लिए बनी समिति की सुनवाई में पेश होना है. इस समिति ने पिछले महीने से काम करना शुरू किया है. कंज़रवेटिव पार्टी के सांसद रिचर्ड ओटोवे का कहना है कि जांच समिति के सामने जाने से पहले ब्लेयर इराक़ मसले पर ब्रिटेन की जनता के रुख़ में नरमी लाना चाहते हैं. इराक़ युद्ध में मारे गए कुछ ब्रितानी सैनिकों के परिवारजनों ने भी टोनी ब्लेयर के इस बयान की आलोचना की है.
इराक़ में कथित सामूहिक विनाश के हथियारों से पैदा होने वाले ख़तरे का हवाला देकर अमेरिका और ब्रिटेन ने इराक़ पर मार्च 2003 में हमला कर सद्दाम हुसैन को सत्ता से बेदख़ल कर दिया था और फिर मुक़दमे के बाद सद्दाम को फांसी दे दी गई थी. लेकिन इस दौरान इराक़ में अस्थिरता फैली और देश में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे. पिछले कुछ समय में हिंसा में अपेक्षाकृत कमी आई है लेकिन बम हमले अभी भी होते रहते हैं.
रिपोर्ट एजेंसियां एस गौड़