इतिहास में आजः 8 सितंबर
७ सितम्बर २०१३संयुक्त राष्ट्र के शिक्षा और सांस्कृतिक विभाग यूनेस्को ने 1966 में पहली बार विश्व साक्षरता दिवस मनाया. यूनेस्को की वेबसाइट के मुताबिक "साक्षरता दिवस अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात की याद दिलाता है कि साक्षरता मानवाधिकार है और यह किसी भी तरह की पढ़ाई की बुनियाद है."
फिर भी अफ्रीका के बुरकीना फासो जैसे देश हैं, जहां 2006 के आंकड़ों के मुताबिक मुश्किल से 12 फीसदी लोग साक्षर हैं. नाइजर और माली जैसे अफ्रीकी देशों में भी 20 फीसदी लोगों को लिखना पढ़ना नहीं आता. भले ही दुनिया 21वीं सदी में पहुंच गई हो, लेकिन पढ़ाई लिखाई जैसी बुनियादी चीजें अब भी सब लोगों तक नहीं पहुंची हैं.
यूनेस्को का कहना है कि एशिया और अफ्रीका में साक्षरता दर बहुत बुरी है और पूरी दुनिया में अब भी 20 फीसदी लोगों को पढ़ना लिखना नहीं आता. चिंता की बात है कि इनमें से दो तिहाई औरतें हैं.
जहां तक भारत का सवाल है, ऐसा माना जाता है कि जिसे "अपना नाम लिखना आता है, वह निरक्षर नहीं". इस बुनियाद पर भारत में साक्षरता दर करीब 74 फीसदी है, हालांकि महिलाओं की साक्षरता दर इससे बहुत कम है. केरल और हिमाचल प्रदेश जैसे भारत के गिने चुने राज्य हैं, जहां लगभग हर शख्स साक्षर है. फिनलैंड जैसे देश की साक्षरता दर तो 100 फीसदी है लेकिन यह जान कर ताज्जुब होता है कि जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका में भी इक्के दुक्के लोगों को पढ़ना लिखना नहीं आता.
इस साल के साक्षरता दिवस को 21वीं सदी के लिए अहम माना गया है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को लिखना पढ़ना सिखाया जा सके. यूनेस्को के मुताबिक "साक्षरता सिर्फ शैक्षणिक प्राथमिकता नहीं, यह भविष्य के लिए जबरदस्त निवेश है और 21वीं सदी के लिए जरूरी हर काम की पहली सीढ़ी." विश्व साक्षरता दिवस 2013 के मौके पर यूनेस्को की महानिदेशक इरीना बोकोवा का कहना है, "हम ऐसी सदी देखना चाहते हैं, जहां हर बच्चे को पढ़ना आता हो."