इतिहास में आजः 30 जनवरी
२९ जनवरी २०१४दुनिया को अहिंसा की ताकत बताने वाले मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या आज ही के दिन हुई थी. 30 जनवरी 1948 को शाम के करीब 5 बजकर 17 मिनट होने को थे, गांधी जी दिल्ली के बिरला हाउस में एक प्रार्थना सभा में हिस्सा लेने जा रहे थे. उस दिन प्रार्थना सभा के लिए गांधी जी को पांच मिनट की देर हो गई थी. गांधी जी, आभा और मनु के कंधों पर अपना हाथ रखकर प्रार्थना सभा की ओर बढ़ रहे थे, तभी सामने से नाथूराम गोडसे आ खड़ा हुआ. गोडसे बापू के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया. गांधी के साथ चल रही आभा ने गोडसे से कहा कि गांधी जी को पहले ही देर हो चुकी है, इसी दौरान गोडसे ने मनु को धक्का दिया और गांधी जी पर एक के बाद एक करके तीन गोलियां दाग दीं. जब तक किसी को कुछ समझ आता 78 साल के महात्मा गांधी की हत्या हो चुकी थी. महात्मा गांधी के आखिरी शब्द "हे राम" थे.
बापू की मृत्यु की खबर देशभर में जंगल की आग की तरह फैल गई. अहिंसा के सबसे बड़े नायक का अस्तित्व हिंसा के जरिए मिटा दिया गया.
महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे और साजिश रचने वाले नारायण आप्टे को फांसी दे दी गई. नाथूराम गोडसे के साथ साजिश में शामिल विष्णु कड़कड़े और गोपाल गोडसे जैसे लोगों को फांसी की सजा नहीं दी गई. बड़ी से बड़ी लड़ाई को सत्य और अहिंसा के रास्ते जीतने का बड़ा सीधा सा मंत्र बताने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्तूबर 1869 को हुआ था.