आधी आबादी है सिरदर्द से परेशान
२२ जनवरी २०१८दुनिया में करीब 22 प्रतिशत लोग तनाव से होने वाले सिरदर्द का सामना करते हैं, तो 12 प्रतिशत माइग्रेन से पीड़ित हैं. जर्मनी के तीन चौथाई लोग नियमित रूप से सिरदर्द की शिकायत करते हैं. किसी को अक्सर दर्द रहता है, किसी को परीक्षा के समय, तो किसी को शामों में दर्द रहता है, खासकर उन दिनों में जब वे दिन में पर्याप्त पानी नहीं पीते. सिरदर्द की 200 से ज्यादा किस्में होती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा खतरनाक किस्म माइग्रेन है.
दिमाग में तनाव के कारण एक तरह का शॉर्ट सर्किट हो जाता है. दिमाग के मैसेंजर सक्रिय हो जाते हैं जो मेनिंगेस की धमनियों में जलन पैदा करते हैं. धमनियां सूज जाती हैं और उसकी वजह से सर में धड़कन या हथौड़े वाला दर्द होता है. कभी कुछ कुछ समय पर तो कभी लगातार. सिरदर्द कई प्रकार के होते हैं. उसका सबसे खराब रूप माइग्रेन है.
बारबरा लिंडेनथाल जाक्स दशकों तक माइग्रेन की शिकार रही हैं. उनकी जिंदगी सामान्य नहीं रह गई थी. वे सिरदर्द के कारण बहुत सारे काम नहीं कर पाती थीं. वे बताती हैं, "मैं बुरी तरह बीमार महसूस करती थी और काफी परेशान थी." जब किसी तरह उन्हें दर्द से राहत नहीं मिली, तो वे फ्राइबर्ग के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहुंची. दर्द के कारणों की जांच के साथ सिरदर्द की थेरापी शुरू हुई. फ्राइबर्ग मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर पेटर बेरेंस कहते हैं, "स्पष्ट रूप से परिभाषित कारणों में मुख्य तनाव है, यानि कि बोझ का अहसास. महिलाओं के मामले में हारमोन में बदलाव भी कारण होता है. इसके अलावा सोने-जगने और खाने पीने की लय में परिवर्तन से भी दर्द हो सकता है."
दवा लें या ना लें?
बहुत से मरीज सिरदर्द होने पर दवाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन यदि उनका अक्सर इस्तेमाल किया जाए तो ये टैबलेट ही दर्द की वजह बन जाते हैं. बारबरा लिंडेनथाल जाक्स ने अपने माइग्रेन पर काबू पाने क लिए बहुत सी दवाओं का इस्तेमाल किया. वे बताती हैं कि उन्होंने दवाओं, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, ध्यान, नियमित कसरत, मैग्नीशियम सब कुछ को आजमाया, लेकिन राहत नहीं मिली.
छोटे मोटे दर्द में टैबलेट या पेपरमिंट तेल भी काम कर जाता है लेकिन माइग्रेन में अलग तरह से इलाज होता है. उसके लिए मरीज के हिसाब से इलाज की जरूरत होती है जिसमें तनाव कम करना और नियमित कसरत भी शामिल होता है. कुछ साल से इलाज के लिए बोटोक्स का भी इस्तेमाल हो रहा है. फ्राइबर्ग मेडिकल कॉलेज के डॉ. पेटर बेरेंस कहते हैं, "सबसे जरूरी बात यह है कि यदि दवाओं का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हुआ हो, तो दवा को रोक दिया जाए या उन्हें कम कर दिया जाए."
एक तरह की समस्या झेल रहे रोगियों के बीच अपने अनुभवों का आदान प्रदान भी मरीजों के बहुत काम आता है. हाइंस पोस्टलेब ने एक सहायता ग्रुप बनाया है. उन्हें भी सालों तक माइग्रेन की तकलीफ थी लेकिन कुछ सालों से उन्हें दर्द से छुटकारा मिल गया है. अपने अनुभव के बारे में हाइंस पोस्टलेब बताते हैं, "क्या समस्या थी किसी को पता नहीं. अब तो मुझे भी फर्क नहीं पड़ता. अब मुझे माइग्रेन नहीं है, और मैं सचमुच खुश हूं." उनके अनुभवों से लोगों में हिम्मत बढ़ेगी कि उन्हें दर्द से राहत मिल सकती है.
माइग्रेन का दर्द आनुवांशिक भी होता है. हाइंस पोस्टलेब को तो अपने दर्द से राहत मिल गई है, लेकिन उनके बच्चों और बच्चों के बच्चों को भी माइग्रेन की समस्या है.