आधार कार्ड से भरेगी जनता की जेब
२५ अक्टूबर २०१२कोशिश की जा रही है कि पैसा सीधे जनता की जेब में डाले जाएं जिससे दलालों से छुट्टी मिले और अर्थव्यवस्था भी ठीक हो.
सरकार की योजना है कि अगले साल तक विभिन्न योजनाओं के तहत 37.22 अरब डॉलर सीधे जनता को बांट दिए जाएं. लोगों के खाते तक पहुंचने के लिए सरकार आधार कार्ड का इस्तेमाल कर रही है. लेकिन इसमें भी चुनौतियां कम नहीं है. एक तो सभी लोगों के आधार कार्ड ही तैयार नहीं हुए हैं, दूसरे इसमें भी बड़ी तादाद में भ्रष्टाचार हो रहा है. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि सरकार की इस योजना के पीछे चुनावी गणित है
आदर्श गांव की तलाश
दिल्ली से 130 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में एक गांव है बीलहेरी, जहां सरकार की इस योजना को लागू भी कर दिया गया है.. दिसंबर से यहां पर लोगों को सरकार ने सीधे पैसा देना शुरु कर दिया है. इससे एक फायदा ये हुआ है कि सब्सिडी की मांग कम हो गई है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके पास आधार कार्ड ही नहीं है पर सरकार ने उनके खाते में भी पैसा जमा कराया है. इससे निचले स्तर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है.
सरकार की योजना है कि इस वित्तीय वर्ष में 55 अरब डॉलर लोगों के बीच बांटे जाएं. सरकार को उम्मीद है कि इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. फिलहाल 51 जिलों में इस योजना को लागू किया गया है. हालांकि कुछ लोगों ने देर से पैसा पहुंचने की भी शिकायत दर्ज कराई है. इस योजना से जुड़े पुष्कर शर्मा कहते हैं,"पैसा ही समय पर नहीं आता है वरना बिचौलियों को दूर रखने के लिए तो योजना बहुत ही अच्छी है. "
इसी योजना से जुड़े धरम पाल कहते हैं, " अब मैं केरोसीन का तेल खरीदने नहीं जाता हूं. क्योंकि बैंक में मेरा बहुत वक्त जाया होता है." इस प्रक्रिया से सरकारी खजाने को फायदा हो रहा है, इसमें कोई दो राय नहीं. लेकिन आधार कार्ड बनवाने में जारी भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा. एचडीएफसी बैंक से जुड़ी अर्थशास्त्री ज्योतिंदर कौर कहती हैं, " आधार कार्ड (बायोमेट्रिक डाटा) तैयार करने की पूरी प्रक्रिया को मैं एक बुरे सपने जैसा मानता हूं. इसमें एक आदमी कई कार्ड बनाकर भ्रष्टाचार कर सकता है."
खजाने को किनता फायदा
.प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसी महीने राजस्थान के डुडू गांव में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "हम चाहते हैं कि विकास का पैसा सही आदमी तक पहुंचे. बिचौलियों का काम खत्म हो और जो लोग जरूरतमंद हैं उन्हीं को उसका फायदा मिले.".
प्रधानमंत्री की ये सोच कांग्रेस सरकार के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकती है लेकिन सरकारी कोष को भी इससे बड़ा फायदा होगा. मैकिन्सी नाम की कंपनी ने पिछले साल आंकलन किया था कि अगर आधार कार्ड के आधार पर सरकार सीधे जनता की जेब तक पैसा पहुंचा सके तो हर साल 18 अरब डॉलर की बचत होगी. ये रकम इतनी है कि जिससे वित्तीय घाटे के एक छठा हिस्से दूर की भरपाई की जा सकती है.
सरकार की योजना है कि अगले साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले पांच करोड़ मजदूरों तक सीधे पैसा पहुंचा जाए. इसके अलावा दो करोड़ लोगों तक सीधे पेंशन पहुंचाने की भी योजना है. सरकारी वजीफा, केरोसीन और ईंधन के दूसरे तेलों में में छूट को भी सरकार पैसे के मद में सीधे लोगों के खाते में जमा करना चाहती है. और ये सब किया जाएगा आधार कार्ड के जरिए. ब्राजील और मेक्सिको जैसे देशों में ये योजना सफल भी हो चुकी है.
वीडी/एमजी(रॉयटर्स)