'आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई' एक ग़लतीः मिलिबैंड
१५ जनवरी २००९इन दिनों भारत का दौरा कर रहे मिलिडबैंड का मानना है कि आतंकवाद के प्रति पश्चिमी जगत ने जो तरीक़ा अपनाया है उसके ज़रिए इस चुनौती को ख़त्म नहीं किया जा सकता है. वह बताते हैं कि ब्रिटिश अधिकारियों ने 2006 में ही इस संघर्ष को 'आतकंवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई' कहना बंद कर दिया था क्योंकि यह समूची अवधारणा ग़लत और गुमराह करने वाली थी.
ब्रिटिश विदेश मंत्री के इस बयान को ख़ासा अहम समझा जा रहा है क्योंकि अमेरिकी नेतृत्व में चलने वाली आतंवाद विरोधी विश्व व्यापी मुहिम में ब्रिटेन अब तक पूरी तरह साथ देता रहा है.
मिलिबैंड आगे कहते हैं कि इस बात का जायज़ा तो अच्छी तरह इतिहासकार ही ले पाएंगे कि इस मुहिम से फ़ायदे की बजाय नुक़सान ज़्यादा हुआ है. इसके चलते पश्चिमी दुनिया के ज़्यादा दुश्मन पैदा हो गए हैं. अमेरिकी जनरल डेविड पेट्राउस का हवाला देते हुए मिलिबैंड लिखते हैं कि इराक़ में गठबंधन सेनाएं अपने तरीक़े से उग्रवाद और गृहयुद्ध की समस्या को दूर नहीं कर सकतीं.
उनका कहना है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध से तो यही मतलब निलकता है कि आतंकवाद के निपटने के लिए सैन्य कार्रवाई ही सही तरीक़ा है. मिलिबैंड का सुझाव है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए सभी लोकतांत्रितक देशों को क़ानूनी विकल्पों को अपनाना चाहिए.