आईएसआई पर सरकार का काबू होः नवाज
१५ मई २०११प्रमुख विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के अध्यक्ष शरीफ ने कहा कि सेना और खुफिया एजेंसियों के बजट को संसद में पेश करना चाहिए और उसे पास कराना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें अमेरिका और उसकी खुफिया एजेंसियों के आदेश नहीं लेने चाहिए. इस पर रोक लगानी चाहिए. हमें आईएसआई सहित सभी संस्थाओं को नागरिक नियंत्रण में लाना चाहिए. रक्षा बजट संसद में पेश किया जाना चाहिए. खुफिया एजेंसी के बजट को भी संसद में लाया जाना चाहिए. समितियों को तय करना चाहिए कि पैसे कहां और कैसे खर्च करने हैं. आखिर में, यह तो जनता का पैसा है."
मौजूदा वक्त में पाकिस्तान में सेना और खुफिया एजेंसियों का बजट संसद में पेश नहीं किया जाता और इस पर कोई बहस नहीं होती है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को पहले भी रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में लाने की कोशिश की जा चुकी है लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली है. यह सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना के तहत काम करती है.
शुक्रवार को बंद कमरे में पाकिस्तानी संसद के दोनों सदनों के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें तय हुआ कि ओसामा बिन लादेन पर कार्रवाई के मसले की स्वतंत्र कमीशन से जांच कराई जाएगी. लेकिन नवाज शरीफ इसके लिए न्यायिक पैनल बनाने की मांग करते हैं.
अमेरिकी सेना की विशेष टुकड़ी ने नाटकीय घटनाक्रम में दो मई को पाकिस्तान के अंदर एबटाबाद शहर में घुस कर ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. इस दौरान पाकिस्तान की सरकार या सेना को कोई खबर नहीं दी गई. पाकिस्तान इसे अपनी संप्रभुता पर हमला बता रहा है. शरीफ का कहना है, "बहुत कुछ स्वतंत्र कमीशन पर निर्भर है. यह जितना जल्दी बनता है और अपनी रिपोर्ट देता है, देश के लिए उतना अच्छा है."
उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियों का राजनीति में कोई दखल नहीं होना चाहिए, "आईएसआई को राजनीति में दखल देना बंद करना चाहिए. खुफिया एजेंसियों को राजनीतिक दलों को मजबूत या कमजोर करने की भूमिका नहीं निभानी चाहिए. उन्हें कोई गठबंधन नहीं करना चाहिए. उन्हें एक समांतर सिस्टम नहीं तैयार करना चाहिए."
शरीफ का कहना है कि सिर्फ चुनी हुई सरकार को ही अमेरिका, भारत और अफगानिस्तान सहित सभी देशों के साथ रिश्ते तय करने की इजाजत होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सेना के खिलाफ नहीं हैं लेकिन परवेज मुशर्रफ जैसे लोगों की वजह से बहुत नुकसान हुआ है.
शरीफ ने करगिल को भी गलत बताते हुए इसके लिए मुशर्रफ को जिम्मेदार कहा, "अब मार्शल लॉ और करगिल जैसी स्थिति नहीं बर्दाश्त की जाएगी."
पूर्व प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत कैमरन मंटर से मुलाकात की है और कहा कि पाकिस्तान को अमेरिका के साथ अपने रिश्तों के बारे में दोबारा सोचना चाहिए. उन्होंने कहा, "उन्हें हमारी चिंता समझनी चाहिए. अमेरिका में 9/11 के बाद कोई हमला नहीं हुआ है लेकिन हमें अपने 30,000 लोग गंवाने पड़े हैं. अमेरिका तो सुरक्षित हो गया है लेकिन पाकिस्तान में खतरा बढ़ गया है."
हालांकि नवाज शरीफ के इस बयान पर भी राजनीति होने लगी है. सूचना मंत्री फिरदौस आशिक आवान का कहना है कि आईएसआई पर हमलों से दुश्मन देशों को फायदा पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि कभी नवाज शरीफ और उनकी पार्टी खुफिया एजेंसियों की चहेती हुआ करती थीं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह