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अयोध्या फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

९ मई २०११

भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. पिछले साल सितंबर में हाई कोर्ट ने इस जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था. इसे सुप्रीम कोर्ट ने अटपटा बताया है.

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ARCHIV-BILD: Jubelnde Hindus auf der Kuppel der eroberten Moschee. Radikale Hindus zerstörten am 6. Dezember 1992 die 1528 erbaute Babri-Moschee in Ayodhya im indischen Bundesstaat Uttar Pradesh, um an deren Stelle zu Ehren des Hindu-Gottes Rama einen Tempel zu errichten. Die dadurch entstandenen Unruhen forderten im ganzen Land rund 1200 Menschenleben.
तस्वीर: dpa - Bildarchiv

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों वाली बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. हाई कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन के जो तीन हिस्से तय किए थे, उनमें एक हिस्सा हिंदुओं को, दूसरा मुसलमानों और तीसरा हिस्सा एक स्थानीय हिंदू ट्रस्ट को देने की बात थी.

सुप्रीम कोर्ट के जजों ने सवाल उठाया है कि उस अदालत ने जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला क्यों किया. जस्टिस आरएम लोढ़ा ने कहा, "हाई कोर्ट ने ऐसी राहत दी जिसकी कभी मांग नहीं की गई. इसे ठीक किए जाने की जरूरत है." वहीं इस बेंच के दूसरे जज आफताब आलम ने हाई कोर्ट के फैसले को "खासा अजीब" बताया.

सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के पहले दिन कहीं. 30 सितंबर, 2010 के फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि तीन महीने तक अयोध्या में यथास्थिति बनाए रखी जाए. इसका मतलब है कि इस दौरान कोई भी पक्ष वहां किसी तरह का निर्माण नहीं कर सकता है. लेकिन इसी दौरान मामला फिर से कोर्ट में पहुंच गया है. हाई कोर्ट के फैसले को उस वक्त भी बहुत से लोगों ने एक समझौता ही माना था जिसका मकसद इस विवाद के खूनी इतिहास से आगे बढ़ना है.

हिंदू उपद्रवियों ने छह दिसंबर, 1992 को 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद को गिरा दिया. इसके बाद भड़के दंगों में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर मुसलमान थे. यह भारतीय उप महाद्वीप में 1947 के बाद की सबसे खतरनाक जातीय हिंसा थी. हिंदुओं का कहना है कि यह मस्जिद मुगल बादशाह बाबर ने राम मंदिर को गिरा कर बनाई.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में मांग की गई है कि पूरी जमीन किसी एक समुदाय को दी जानी चाहिए.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ए जमाल

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