अमेरिका: नए गर्भपात कानून पर विवाद
३१ अगस्त २०२१नया कानून एक सितंबर से लागू हो जाएगा. गर्भपात के अधिकार का समर्थन करने वाले समूहों ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में 30 अगस्त को इस कानून को रोकने की आपात अपील दायर की.
'प्लांड पेरेंटहुड', गर्भपात की सेवांए और महिलाओं के लिए अन्य सेवाएं देने वाले समूहों ने अदालत को बताया कि यह कानून "तुरंत और अनर्थकारी रूप से टेक्सस में महिलाओं को गर्भपात के अधिकार से दूर कर देगा."
अधिकार का उल्लंघन
समूहों ने यह भी कहा कि इस कानून की वजह से "टेक्सस में गर्भपात कराने वाले मरीजों में से 85 प्रतिशत को देखभाल नहीं मिल पाएगी" और कई गर्भपात क्लिनिक बंद भी हो जाएंगे.
इन समूहों ने जुलाई में ही टेक्सस की राजधानी ऑस्टिन की फेडरल अदालत में इस कानून को चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि कानून महिलाओं के गर्भपात कराने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है.
19 मई को पारित किया गया कानून एक तरह से विचित्र भी है क्योंकि यह हर नागरिक को यह अधिकार देता है कि वो छह हफ्तों की समय सीमा के बाद गर्भपात कराने वाली महिला की मदद करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकें.
इस तरह के कानून को 'हार्टबीट' गर्भपात बैन कहा जाता है और इस तरह के कई कानून रिपब्लिकन सरकारों वाले राज्यों में लाए गए हैं. इन कानूनों का उद्देश्य है कि भ्रूण के कार्डिएक टिश्यू के धड़कने का पता चल जाने के बाद गर्भपात कराना संभव ना हो सके.
एक कानूनी लड़ाई
ऐसा अक्सर गर्भ के छह सप्ताह पूरा होने पर पता चलने लगता है. कभी कभी यह समय आने तक महिलाओं को गर्भ का पता भी नहीं चलता.
कई अदालतों ने इस तरह के प्रतिबंधों को रोक दिया है क्योंकि इनसे 1973 के 'रो बनाम वेड' मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का उल्लंघन होता है.
इसी फैसले के बाद के पूरे देश में गर्भपात को कानूनी मान्यता मिली थी. मिसिसिपी राज्य ने तो सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वो 'रो बनाम वेड' फैसले को ही पलट दे.
राज्य में 2018 में पास किए गए एक कानून के तहत गर्भ धारण के 15 सप्ताह के बाद गर्भपात पर बैन लगा दिया गया था. इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट के जज अक्टूबर में सुनवाई करेंगे और जून 2022 तक फैसला आने की उम्मीद है.
सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद
टेक्सस में जो मामला दायर किया गया है उसमें अपील की गई है कि जजों, काउंटी क्लर्कों और राज्य के दूसरे अधिकारियों को नागरिकों द्वारा दर्ज किये मामलों के जरिए नए कानून को लागू कराने से रोका जाए.
मामला दायर करने वालों ने एक गर्भपात-विरोधी समूह के निदेशक के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया है. उनका कहना है कि इस समूह ने नए कानून के तहत खुद कदम उठाने की धमकी दी है.
इसके पहले एक फेडरल जज ने इस मामले को रद्द किए जाने की एक कोशिश को खारिज कर दिया था. इसके तुरंत बाद एक निचली अदालत में अपील दायर की गई और अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई पर रोक लगा दी.
गर्भपात सेवाएं देने वाली संस्थाओं ने इसी अदालत में नए कानून को रोकने की भी अपील की थी लेकिन 29 अगस्त को अदालत ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. 30 अगस्त को याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वो या तो टेक्सस वाले कानून पर रोक लगाए या निचली अदालत में सुनवाई चलने दे.
सीके/वीके (रॉयटर्स)