अब फिल्मी पर्दे पर दिखेगी ऑनर किलिंग
१५ जुलाई २०१०बॉलीवुड का सबसे पसंदीदा मुद्दा है मोहब्बत. दो प्यार करने वालों के जीने मरने पर सैकड़ों फिल्में हर साल बनती हैं. लेकिन अब जिन मोहब्बतों की बात बॉलीवुड में हो रही है, वे कुछ अलग हैं. ये ऐसी मोहब्बतें हैं, जिन्होंने देश के कई हिस्सों खास कर उत्तर भारत में बवाल खड़ा किया है. बॉलीवुड ऑनर किलिंग यानी इज्जत के नाम पर कत्ल की कहानियों पर फिल्में बना रहा है.
इस मुद्दे पर एक नहीं कई डायरेक्टर फिल्म बना रहे हैं. अपनी कॉमेडी फिल्मों के लिए मशहूर प्रियदर्शन अलग जाति के लड़का लड़की के प्यार पर एक फिल्म आक्रोश बना रहे हैं. इसमें अजय देवगन और बिपाशा बसु काम कर रहे हैं. टीवी धारावाहिक बनाने वाले अजय सिन्हा और डायरेक्टर अवतार भोगल भी ऑनर किलिंग पर फिल्में बना रहे हैं.
घर एक सपना, हसरतें और अस्तित्व जैसे चर्चित टीवी सीरियल बना चुके सिन्हा अब खापः अ स्टोरी ऑफ ऑनर किलिंग बना रहे हैं. उन्हें इसका ख्याल आया एक अखबार में छपी खबर पढ़कर. वह कहते हैं कि ऑनर किलिंग तो देश की राजधानी दिल्ली तक में हुई हैं. मेरी फिल्म किसी एक खास घटना पर आधारित नहीं है, लेकिन इसकी कहानी ऐसी बहुत सी घटनाओं से मिलकर बनी है.
इस फिल्म में ओम पुरी, युविका चौधरी, गोविंद नामदेव, मोहनीश बहल और मनोज पाहवा जैसे जाने माने कलाकार काम कर रहे हैं. सिन्हा ने फिल्म के लिए काफी रिसर्च भी की है. वह बताते हैं, "मैंने हरियाणा की उन जगहों का दौरा किया जहां आज भी ऐसी परंपराएं हैं. इसके अलावा मैंने पंचायत के सदस्यों और गांव वालों से भी बातचीत की."
खाप पंचायतें उत्तर भारत में सामाजिक संस्थाएं हैं. ये संस्थाएं जाति पर आधारित हैं और अलग जाति या समान गोत्र में शादी के खिलाफ हैं. कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जब अलग जाति या समान गोत्र में शादी करने वालों को इन पंचायतों के हुक्म पर कत्ल कर दिया गया. दिल्ली में पिछले महीने हुए इस तरह के एक तिहरे कत्ल ने पूरे देश को हिला दिया था.
यही नहीं, विदेशों में रह रहे भारतीय भी इस तरह के अपराधों में शामिल रहे हैं. 1988 में डिंपल कपाड़िया के साथ फिल्म जख्मी औरत बनाने वाले डायरेक्टर अवतार भोगल ऐसी ही एक कहानी पर काम कर रहे हैं. उनकी फिल्म ऑनर किलिंगः गॉड फॉरगिव मी ब्रिटेन में रह रहे एक भारतीय की कहानी दिखाती है. इस फिल्म में जारा शेख, जावेद शेख, टॉम ऑल्टर, गुलशन ग्रोवर और प्रेम चोपड़ा जैसे भारत और पाकिस्तान के कई कलाकार काम कर रहे हैं.
भोगल कहते हैं कि एशियाई बेहतर जिंदगी की तलाश में अपने देश तो छोड़ गए हैं, लेकिन उनकी सोच में वे सब चीजें आज भी हैं जिनसे वे छुटकारा चाहते थे. वह कहते हैं, "ब्रिटेन जैसे आजाद और खुले समाज में ऑनर किलिंग जैसे अपराधों के लिए कोई जगह नहीं है."
लेकिन इस तरह की फिल्में कितनी चलेंगी, इस बात को लेकर शक फिल्में बनाने वालों के मन में भी है. भोगल कहते हैं, "यह कमर्शियल सिनेमा का सब्जेक्ट नहीं है और हो सकता है मुझे अपना पैसा गंवाना पड़े. फिर भी भोगल यह फिल्म बनाना चाहते हैं." वह कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि अधिकारी इस घिनौने अपराध को खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाएं और लोगों के अंदर भी जागरूकता पैदा हो."
दोनों ही निर्देशक मानते हैं कि सिनेमा में समाज को बदलने की ताकत है और अपनी फिल्मों के जरिए वे यही करना चाहते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए जमाल