अब जर्मन चांसलर भी क्वारंटीन में
२२ मार्च २०२०चांसलर मैर्केल एहतियातन प्राइवेट क्वारंटीन में गई हैं क्योंकि उनका कोरोना वाइरस से संक्रमित एक डॉक्टर से संपर्क हुआ था. चांसलर के प्रवक्ता स्टेफेन जाइबर्ट ने बताया कि डॉक्टर ने शुक्रवार को न्यूमोकोकाई के निरोध के लिए टीका दिया था. डॉक्टर को इस बीच कोरोना वायरस के लिए पॉजीटिव पाया गया है. प्रवक्ता ने बताया है कि चांसलर अपने घर में क्वारंटीन में रहने के बावजूद काम करती रहेंगी. सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ हुई सहमति पर कैबिनेट की मीटिंग होगी जिसमें कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था पर हो रहे असर को कम करने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे. इससे पहले वित्त मंत्री ओलाफ शॉल्त्स भी कुछ दिन पहले घरेलू क्वारंटीन में थे, लेकिन टेस्ट में उन्हें निगेटिव पाया गया. चांसलर की आने वाले दिनों में नियमित जांच की जाएगी.
चांसलर को डॉक्टर के कोरोना पॉजीटिव होने की जानकारी दिए जाने से पहले उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच हुई सहमति की जानकारी दी. उम्मीद के विपरीत जर्मनी के लॉकडाउन पर सहमति नहीं हुई है, लेकिन सामाजिक संपर्कों को न्यूनतम स्तर पर लाने का फैसला हुआ है. जर्मन चांसलर ने लोगों से एक दूसरों से कम से कम डेढ़ मीटर, संभव हो तो दो मीटर की न्यूनतम दूरी बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा, "इस तरह आप जिंदगी बचाएंगे."
सिर्फ दो लोग एक साथ
केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तय कदमों के बारे में जानकारी देते हुए चांसलर ने कहा, "घर में साथ नहीं रहने वाले एक अन्य इंसान या घर में साथ रहने वाले एक इंसान के साथ" होने की अनुमति होगी. चांसलर ने स्पष्ट किया कि यह सरकार की सलाह नहीं है बल्कि पालन करने वाला नियम है.जो इसे नहीं मानेगा उसे सजा के लिए तैयार रहना होगा. ये नियम कम से कम दो सप्ताह लागू रहेंगे.
इससे पहले कई प्रदेशों ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए एकतरफा कदम उठाना शुरू कर दिया था. मैर्केल ने कहा कि मौजूदा सहमति के साथ एक राष्ट्रीय नियम पर सहमति हुई है. उन्होंने बवेरिया जैसे कुछ प्रांतों द्वारा लिए गए फैसलों का बचाव करते हुए कहा, "सभी एक बड़े, जीवन के लिए जरूरी लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं, वायरस के खिलाफ समय जीतने के लक्ष्य से." इस समय संघीय स्वरूप वाले जर्मनी में महामारी जैसी आपदा के समय केंद्र सरकार को ज्यादा अधिकार देने के लिए महामारी सुरक्षा कानून में संशोधन पर भी चर्चा हो रही है. अगले हफ्ते इस कानून पर सहमति हो जाने की उम्मीद है.
संक्रमितों की संख्या बढ़ी
इस बीच जर्मनी में रविवार को रास्ते सूने थे, लोग चिंतित हैं और संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ रही है. रविवार को उनकी संख्या बढ़कर 24,000 से ज्यादा हो गई. इसलिए लॉकडाउन नहीं करने के बावजूद घर से बाहर दो से ज्यादा लोगों के साथ होने पर रोक लगा दी गई है. घरों के अंदर भी परिवार के बाहर के लोगों के जमा होने और पार्टी करने पर रोक होगी. इन नियमों के उल्लंघन की पुलिस निगरानी करेगी. हालांकि सजा के बारे में रविवार को कोई बात नहीं हुई लेकिन देश के सबसे बड़े प्रांत नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में इसके लिए 25,000 यूरो (20,000,000 रुपये) तक की सजा हो सकती है. खुली हवा में जॉगिंग, बच्चों के साथ घूमने या पालतू मवेशियों के साथ घूमने के अलावा काम पर जाने तथा डॉक्टर के यहां जाने की भी छूट होगी. रेस्तरां, सैलून और स्पा को बंद कर दिया गया है.
कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगे प्रतिबंधों का असर अर्थव्यवस्था और रोजगार पर भी हो रहा है. इसी हफ्ते सरकार उद्यमों, कर्मचारियों, स्वतंत्र रूप से काम करने वालों और क्लीनिकों के लिए मदद के कदम तय करेगी. इसके लिए मौजूदा कानूनों में व्यापक परिवर्तन किए जाएंगे. सोमवार को कैबिनेट के फैसले के बाद नए कानून पर शुक्रवार तक संसद के निचले सदन बुंडेसटाग और ऊपरी सदन बुंडेराट में फैसला हो जाएगा. इस पर कुछ कितना खर्च आएगा, अभी किसी को पता नहीं लेकिन केंद्र सरकार 2020 के लिए 156 अरब यूरो के पूरक बजट की योजना बना रही है. उद्यमों को दिवालिया होने से बचाने के लिए 600 अरब यूरो की रक्षा छतरी होगी. छोटे उद्यमों और स्वतंत्र रूप से काम करने वालों को 15,000 यूरो की सीधी मदद देने की योजना है.
कमाई गंवाने वालों की मदद
बहुत से कामगारों को काम नहीं होने के कारण कोई आमदनी नहीं हो रही है. आमदनी नहीं होने के कारण यदि कोई 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक किराया नहीं चुका पाता है तो उसे घर से निकाला नहीं जा सकेगा. मकान मालिकों के संघ ने शिकायत की है कि जो लोग घर के किरायों से अपना गुजर बसर करते हैं, उनके बारे में नहीं सोचा गया है. जो उद्यम आर्थिक संकट में फंस गए हैं वे अपने कर्मचारियों की छंटनी करने के बदले उन्हें काम के घंटों में कटौती कर नौकरी में रख पाएंगे. नौकरी नहीं रहने पर लोगों को वेतन का 60 फीसदी मिलेगा जबकि परिवार में बच्चों के होने पर 67 प्रतिशत.
चूंकि कोरोना वायरस के खिलाफ कोई दवा या टीका नहीं है, इसलिए सरकार का इरादा समय जीतने का है. इस बीच अस्पतालों को मरीजों की बढ़ती संख्या का मुकाबला करने के लिए तैयार किया जाएगा. सरकार देश के अस्पतालों को 3 अरब यूरो की मदद देगी. इसके अलावा कीटाणुओं से सुरक्षा के मामले में केंद्र सरकार खुद हस्तक्षेप कर पाएगी. निजी अस्पतालों को दिवालिया होने से बचाने के लिए दिवालिया कानून में भी संशोधन करने की योजना है.
एमजे/एके (डीपीए)
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