अगले चुनावों के बाद छोटी हो जाएगी जर्मन संसद
२६ अगस्त २०२०लोकतंत्र अपने आप में बेहद खास है क्योंकि यहां जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है. लेकिन हर लोकतंत्र में चुनाव की प्रक्रियाएं अलग होती हैं. अमेरिका और भारत दोनों लोकतंत्र हैं लेकिन दोनों में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के चुनावों के तरीके अलग हैं. इसी तरह जर्मन लोकतंत्र की भी कुछ अनोखी बातें हैं. इनमें सबसे खास यह है कि हर आम चुनाव के बाद यहां की संसद का आकार बढ़ जाता है. संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में सीटें लगातार बढ़ रही हैं जो अब चिंता का विषय बन चुकी हैं. इससे निपटने के लिए देश में लंबे समय से बहस होती रही और अब गठबंधन सरकार ने सांसद चुने जाने की प्रक्रिया में कुछ बदलाव करने पर सहमति बना ली है.
लंबी बातचीत के बाद चांसलर अंगेला मैर्केल की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू), उनकी सहोदर पार्टी सीएसयू और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) दो चरण वाले मॉडल पर सहमत हुई हैं. इसकी शुरुआत अगले साल होने वाले चुनावों से होगी और फिर 2025 के चुनावों में कुल निर्वाचन क्षेत्रों को 299 से घटा कर 280 कर दिया जाएगा. सीडीयू की प्रमुख आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर ने उम्मीद जताई है कि इस कदम से संसद के बढ़ते आकार को सीमित किया जा सकेगा.
फिलहाल बुंडेसटाग में कुल 709 सांसद हैं और इस संख्या के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी संसद है. इसके बाद केवल चीन का नंबर आता है, जहां संसद में 2,980 प्रतिनिधि बैठते हैं. जर्मनी में अगर अभी बदलाव ना किए गए तो उम्मीद है कि 2021 के चुनावों के बाद यहां 800 से भी ज्यादा सांसद होंगे. गठबंधन नेता आठ घंटे की लंबी बातचीत के बाद इस समझौते पर पहुंच पाए हैं. कारेनबावर ने इस बातचीत को बेहद "मुश्किल" बताया. वहीं एसपीडी के नेता मार्कुस जोएडर ने भी कहा कि थोड़ी बहुत मुश्किल तो हुई लेकिन वे एक अच्छे समझौते तक पहुंच पाए. एसपीडी के ही एक अन्य नेता नॉर्बर्ट वाल्टर बोरयान्स ने कहा कि अब यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि 2021 के चुनावों के बाद "बुंडेसटाग पहले से छोटी होगी. यह जरूरी है कि अब वहां रोक लगाई जाए."
16 साल में वोट देने का हक
चुनावों को ले कर जिन बदलावों पर चर्चा चल रही है, उसमें एक अहम बिंदु मतदान की उम्र का भी है. भारत की ही तरह जर्मनी में भी वोट देने की उम्र 18 साल है, जिसे अब घटाने पर बात चल रही है. इसके अलावा आम चुनावों को चार की जगह भारत की तरह पांच साल बाद कराने पर भी बहस तेज है. साथ ही बुंडेसटाग में महिलाओं की संख्या पुरुष सांसदों के बराबर करना भी एक अहम लक्ष्य है.
2020 में हो रही अन्य बैठकों की तरह यह बैठक भी कोरोना महामारी के असर से अनछुई नहीं रह सकी. गठबंधन नेताओं ने कोरोना संकट के नकारात्मक आर्थिक प्रभाव को कम करने के उपायों का समर्थन किया. इसमें सबसे खास है "कुर्त्स-आरबाइट" स्कीम पर फैसला. इस स्कीम के तहत लोगों की नौकरियां बचाने के लिए सरकार ने कंपनियों से अपने कर्मचारियों के काम के घंटे और इस तरह से उनके वेतन को कम करने को कहा है. पहले इसे मार्च 2021 तक के लिए निर्धारित किया गया था लेकिन अब 2021 के अंत तक बढ़ा देने का फैसला लिया गया है. कारेनबावर ने कहा, "कोरोना एक वास्तविकता और एक चुनौती बना हुआ है. आज हम कोरोना वायरस से निपटने के लिए महत्वपूर्ण और प्रभावी उपायों का विस्तार करने पर सहमत हुए हैं." साथ ही कंपनियों को सहयोग बढ़ाने की बात भी कही गई है ताकि उन्हें आर्थिक संकट के इस दौर में दिवालिया होने से बचाया जा सके.
आईबी/आरपी (डीपीए, रॉयटर्स)
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